नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की अवधि में बैंक से लिए गए कर्ज पर ब्याज नहीं वसूलने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने अधिसूचना जारी कर कर्ज लेने वालों को तीन महीने तक किस्त अदा करने से छूट दी है, लेकिन इस अवधि में ब्याज अदा करने से छूट नहीं दी गई है, इसलिए किस्त के साथ ही तीन महीने का ब्याज लेने पर भी रोक लगाई जाए। शीर्ष कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस याचिका पर केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) से निर्देश लेकर सूचित करने को कहा है। मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
कामकाज बंद है किस्त अदा नहीं कर सकता
शुक्रवार आठ मई को जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने आगरा के गजेंद्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश जारी किया। वकील देवेश चौविया के जरिये दाखिल याचिका में शर्मा ने कहा है कि इससे पहले इसी मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं पर शीर्ष कोर्ट ने यह कहकर विचार करने से इन्कार कर दिया था कि याचिका दाखिल करने वाले प्रभावित व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता प्रभावित व्यक्ति है। याचिकाकर्ता ने बैंक से होम लोन ले रखा है और कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए लागू लॉकडाउन में उसका कामकाज पूरी तरह बंद है। इस कारण वह ब्याज के साथ होम लोन की किस्त अदा करने की स्थिति में नहीं है।
ब्याज नहीं वसूले जाने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट आरबीआइ के गत 27 मार्च के बैंक किस्त की अदायगी से तीन महीने की छूट देने वाले नोटिफिकेशन के उस अंश को रद कर दे जिसमें मोरेटोरियम अवधि का ब्याज वसूले जाने की बात कही गई है। साथ ही कोर्ट कर्ज के भुगतान में मोरेटोरियम अवधि का ब्याज नहीं वसूलने का आदेश दे।
सरकार और आरबीआइ से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान पहले से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को बताएंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से याचिका की प्रति सॉलिसिटर जनरल को देने का निर्देश देते हुए मामले को दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मेहता से कहा कि इस बीच वह केंद्र सरकार और आरबीआइ से निर्देश ले लें।
संकट में कर्जदार
याचिका में कहा गया है कि तीन महीने की छूट अवधि का ब्याज वसूले जाने से आर्थिक संकट में चल रहे कर्जदारों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। अगर इस अवधि का ब्याज माफ नहीं किया गया तो यह ब्याज तीन महीने की अवधि बीतने के बाद बैंक वसूलेंगे या फिर अंत में अतिरिक्त किस्त के तौर पर वसूला जाएगा अथवा बाकी बची किस्तों में उसे जोड़ दिया जाएगा जिससे कर्ज लेने वालों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।