वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ। इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और परिनिर्वाण भी वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन ही हुआ। भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवें अवतार के रूप में माना जाता है। इस पूर्णिमा को सत्यव्रत पूर्णिमा भी कहा जाता है।
भगवान बुद्ध सत्य की खोज में सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा से मिलने वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पहुंचे थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सत्यविनायक व्रत का विधान बताया। सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी दरिद्रता दूर हो गई। इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। धर्मराज की आराधना से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। वैशाख माह में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। पूर्णिमा का स्नान करने से पूरे वैशाख माह के स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। बुद्ध पूर्णिमा पर पिंजरों से पक्षियों को मुक्त किया जाता है। जरूरतमंदों को भोजन एवं वस्त्र दान किए जाते हैं। इस दिन किसी से अपशब्द न कहें। किसी तरह का कलह न करें। शाम को उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।