असुरों का राजा गजमुख सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करना चाहता था। इसके लिए वह भगवान शिव से वरदान पाने के लिए अपना राज्य छोड़कर रात दिन तपस्या में लीन हो गया। कई वर्ष बीत गए, भगवान शिव उसके तप को देख प्रसन्न हुए और उसके सामने प्रकट हो गए।
भगवान शिव ने उसे दैवीय शक्तियां प्रदान की, जिससे वह बहुत शक्तिशाली हो गया। भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। इस पर गजमुख को अपनी शक्तियों पर गर्व हो गया और इनका दुर्पयोग कर वह देवताओं पर आक्रमण करने लगा।
सभी देवता, ब्रह्मा, विष्णु और शिव की शरण में पहुंचे तब भगवान शिव ने श्रीगणेश को गजमुख को रोकने के लिए भेजा। भगवान गणेश ने गजमुख के साथ युद्ध किया और उसे घायल कर दिया। इस पर गजमुख ने स्वयं को एक मूषक के रूप में बदल लिया और गणेश जी की ओर आक्रमण करने दौड़ा। जैसे ही वह उनके पास पहुंचा तो भगवान गणेश कूदकर उसके ऊपर बैठ गए और गजमुख को जीवनभर के लिए मूषक में बदल दिया। भगवान गणेश ने उसे अपने वाहन के रूप में रख लिया। गजमुख भी अपने इस रूप से खुश हुआ और गणेश जी का प्रिय मित्र बन गया।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
भगवान गणेश की सवारी ऐसे बना गजमुख

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