मुंबई। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में पर्युषण महापर्व का छठा दिन जप दिवस के रूप में अत्यधिक उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी ने अपने मधुर व ओजस्वी उदबोधन में कहा जप आत्म अनुभव को जागृत करने का अमोघ साधना है। यू भी कहा जा सकता है कि अध्यात्म की शक्ति से रूबरू होने का सरलतम उपाय है जप । यदि व्यक्ति इसमे तन्मय बन जाए तो अध्यात्मय के फल का रसास्वादन करके तृप्त बन जाए । जप शब्द छोटा है किंतु अर्थवत्ता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ज यानी जन्म मरण की परम्परा का अंत करने वाला प अर्थात पापो को नष्ट करने वाला इसलिए इसे जप कहा जाता है। चिन्मय में तन्मय बनने की सरल प्रक्रिया है जप । जप्यानुष्ठान से व्यक्ति के भीतर के केन्द्र सक्रिय हो जाते है। सम्पूर्ण आस्था के साथ गुरुमुख से मन्त्र को स्वीकार करके नियमित रूप से जपना चाहिए। जप प्रारंभ करने से पूर्व तन मन की स्वच्छता व शुद्धता जरूरी है। अपने आराध्य के प्रति सर्वात्मना समर्पित बनकर निर्मल भाव से इष्ट मन्त्रो का जप महान हितकारी बनता है। साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने संबोध प्रदान करते हुए कहा जैन परम्परा में बंधन संसार वृद्धि का कारण है और मोक्ष संसार च्रक से छूट जाने का मुक्ति द्वारा एक तपती धूप, दूसरा शीतल छाव । मनुष्य का मन जब भी जागो बन्धन मुक्ति की तरफ प्रस्थान करे यही काम है।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने कविता के माध्यम से ट्रेन की यात्रा करवाकर जिंदगी की सच्चाई से रूबरू करवाया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन किया। साध्वी स्मतव्यशाजी ने महावीर वाणी का सटीक विश्लेषण किया। तेयुप अध्यक्ष रवि डोसी ने सूचनाएं प्रेषित की।
राजश्री कच्छारा, आशा कच्छारा, रेखा बरलोटा, पिंकी डागलिया, सरला कोठारी, निर्मला पोरवाल, मोनिका सिंघवी, भूमि पुष्पा धाकड़, रेणु बोलिया, आदि प्रशिक्षिकाओ ने मंगल संगान किया। रात्रिकालीन कार्यक्रम में साध्वी श्रीजी ने तप महाज्योत श्राविका तुलसी बाई, अमर शहीद, सन्त वेणी रामजी, व तेरापंथ के ग़ैरवशाली श्रावक बहादरमल भंडारी के जीवन वृत को प्रस्तुत किया। यह जानकारी तेयुप के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
कालबादेवी तेरापन्थ भवन में जप दिवस मनाया गया

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