विहार के पूर्व महातपस्वी ने किया चन्द्रगिरी पर आरोहन
अच्छाइयों द्वारा बढ़ाए जीवन की गुणवत्ता : आचार्य महाश्रमण
30-11-2019, शनिवार, चन्नरायपटना, हासन, कर्नाटक। अहिंसा यात्रा प्रणेता जैन शासन प्रभावक आचार्य श्री महाश्रमण जी ने धवलसेना के साथ आज प्रातः श्रवणबेलगोला से मंगल प्रस्थान किया। आचार्य विहार से पूर्व चौबीसी तीर्थंकर मंदिर में पधारे। जहां पर दिगंबर मुनि पुण्यसागर जी से आध्यात्मिक मिलन हुआ। तत्पश्चात मार्ग श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करते हुए महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी ने चंद्रगिरी पहाड़ पर आरोहण किया। वहां स्थित आचार्य भद्रबाहु की गुफा में आचार्यवर ने स्तुति करते हुए संस्कृत श्लोकों की रचना की। मंदिर परिसर का अवलोकन कर लगभग 13 किलोमीटर विहार कर ज्योतिचरण चन्नरायपटना स्थित नवोदय हाई स्कूल में पधारे। सकल जैन समाज ने शांतिदूत श्री महाश्रमण जी का जुलूस के साथ भावभरा स्वागत किया।
विद्यालय प्रांगण में उद्बोधन देते हुए अहिंसा यात्रा ने कहा व्यक्ति को मनोज्ञ के पीछे नहीं भागना चाहिए। हर मनोज्ञ वस्तु हमारे लिए हितकर नहीं होती। जैसे जीभ को कई खाद्य पदार्थ अच्छे लगते हैं परंतु वह स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं होते। आदमी तपस्या करता है कईयों को वह मनोज्ञ भले नहीं हो परंतु स्वास्थ्य के लिए, आत्मा के लिए वह अच्छा होता है। व्यक्ति रोज खाता है कभी-कभी संयम भी करना चाहिए। संयम से जीभ का भले स्वाद ना आए, शरीर, आत्मा के लिए वह हितकर होता है।
आचार्यवर ने एक कथा के माध्यम से प्रेरणा देते हुए आगे फरमाया कि तीन प्रकार के श्रोता होते हैं। एक तो बात को सुनते नहीं है फिर दूसरी तरह के श्रोता इधर से सुनकर उधर निकाल देते हैं। कुछ होते हैं जो सुनकर उसे जीवन में उतारते हैं। व्यक्ति कान के द्वारा कल्याण को सुनता सुनता है व बुरे को भी सुनता है। अच्छी बातों को जीवन में उतारना चाहिए। बुरे को छोड़कर कल्याण को हम अपनाएं। व्यक्ति का महत्व गुणों से होता है। उनके समक्ष रूप, पैसा आदि सब गौण हैं। अच्छाइयों को अपनाकर जीवन में गुणों को बढ़ाने का प्रयास करें।
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने चन्नरायपटना के लोगों को अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार करवाए तथा श्रावक-श्राविकाओं को सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की।