बीजिंग: चीन ने हॉन्गकॉन्ग में प्रदर्शन शुरू होने के 5 महीने बाद पहली बार अपनी सेना भेजी है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान शनिवार को सादे कपड़ों में प्रदर्शनकारियों द्वारा फैलाया मलबा और बैरिकेड्स हटाते देखे गए। पीएलए का कहना है कि उसके सैनिक अपनी मर्जी से हॉन्गकॉन्ग में मलबा हटाने आए हैं। हालांकि, हॉन्गकॉन्ग प्रशासन ने कहा है कि उसने चीन से सैनिकों की मांग नहीं की थी।
हॉन्गकॉन्ग में सेना को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
हाॅन्गकॉन्ग के संविधान (गैरिसन लॉ और बेसिक लॉ) के अनुच्छेद 14 के मुताबिक, चीनी सेना (पीएलए) शहर के स्थानीय कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सेना को यह अधिकार तभी है, जब स्थानीय प्रशासन उससे मदद मांगे। हालांकि, हॉन्गकॉन्ग के चीनी नियंत्रण में लौटने के बाद से अब तक शहर में कभी चीनी सेना की जरूरत नहीं हुई।
इसी साल जुलाई में चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू क्यान ने कहा था कि बीजिंग हॉन्गकॉन्ग में सेना तभी उतार सकता है, जब अनुच्छेद 14 के तहत हॉन्गकॉन्ग सरकार इसकी मांग करे। लेकिन रविवार को बीजिंग के ही ग्लोबल टाइम्स अखबार ने अफसरों के हवाले से चलाया कि सैनिकों के सफाई कार्यक्रम के बारे में लोगों को ज्यादा जानने की जरूरत नहीं है। सेना के कैम्प के बाहर सफाई का फैसला कमांडर की अनुमति के बाद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने अपनी वर्दी नहीं पहनी थी और न ही हथियार उठाए।
न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, इस बयान से तय है कि चीन हॉन्कॉन्ग के गैरिसन में स्थित अपने बेस पर ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं करना चाहता। वह अपने कैम्प के आसपास संवेदनशीलता भी कम ही रखेगा। शनिवार को हॉन्गकॉन्ग की जमीन पर उतरे सैनिकों की हरकत से यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि चीनी सेना का अगला कदम क्या होगा।
सैनिकों ने कहा- हिंसा और अराजकता रोकना हमारी जिम्मेदारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब एक सैनिक से पूछा गया कि वे सफाई कार्यक्रम में क्यों उतरे, तो उसने कहा, “इसका हॉन्गकॉन्ग सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। यह अभियान हमने अपनी तरफ से शुरू किया है। हिंसा और अराजकता रोकना हमारी जिम्मेदारी है।” चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हॉन्गकॉन्ग पर कई बार यही बयान दे चुके हैं।
पीएलए के सैनिक पिछली बार अक्टूबर 2018 में हॉन्गकॉन्ग की जमीन पर उतरे थे। तब प्रशासन ने मांखुत तूफान से फैले मलबे और पेड़ों को साफ करने के लिए चीन से मदद मांगी थी। करीब 400 सैनिक अलग-अलग बैच में हॉन्गकॉन्ग भेजे गए थे।