बस्ती (यूपी) ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में दिन दहाड़े हुए बसपा नेता रामराज उर्फ राम विलास (गम्मज) का शव बुधवार को रात उनके घर लाया गया तथा गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार किया जाएगा। बुधवार दिन भर उनके घर उन्हें चाहने वालों का तांता लगा रहा जबकि घर के बाहर पुलिस का कड़ा पहरा है। इधर सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज के कुछ लोग हत्यारों के समर्थन में पोस्ट लिखकर उन्हें निर्दोष बताने की कोशिश शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले में अब भीम आर्मी भी उतर चुकी है। भीम आर्मी की बस्ती इकाई ने प्रशासन से न्याय की मांग की है साथ ही न्याय न मिलने की स्थिति में आंदोलन की तैयारी कर रही है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को रामविलास (रामराज) उर्फ गम्मज की उनके पैतृक गांव इंटहिया निवासी झिनकान तिवारी, अशोक तिवारी के साथ सिकटा निवासी उमेश शुक्ला ने सुकरौली चौराहे के पास उस समय ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जब वे सपत्नी अस्पताल किसी रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे, जिसमें रामराज बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस हमले में उन्हें तीन गोलियां लगी थी और बुधवार को उनकी मौत हो गयी। हमले के बाद गम्मज ने तीनों हमलावरों को पहचान लिया और मृत्यु से पूर्व पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम भी लिया। जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की सींखचों तक पहुंचाने में कामयाब रही।
खास बात यह है यहाँ भी वही ट्रेंड चल रहा है जैसा कि देश अन्य राज्यों में हुआ कि हमले के पीड़तों को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाती रही जबकि हत्यारों को हीरो की तरह पेश किया गया। ताज़ा उदाहरण बुलंदशहर है, जहां पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार की हत्या में शामिल सुमित कुमार का मंदिर बनाया गया, जो जिसकी उसी दंगे में मौत भी हो गयी थी तथा बाद में खबर आई कि सुबोध कुमार की हत्या का मुख्य आरोपी वही था। इससे पहले भी देश अन्य हिस्सों में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा दलित व मुस्लिमों की हत्याओं में शामिल लोगों का फूल मालाओं से सम्मान किया जा चुका है। ऐसे में यहां भी शायद इसी तरह की कोशिश की जा रही है।
जानकारी के अनुसार, इस मामले को लेकर पुलिस प्रशासन काफी सतर्क है, फिर भी अंतिम संस्कार के समय या उसके बाद किसी किसी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल क्षेत्र का माहौल संवेदनशील बना हुआ है।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2435952556732490&id=100009533093391