इस्लामाबाद: आतंकी संगठनों को मिल रही आर्थिक मदद और उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल सकती है। यह संस्था टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की निगरानी करती है। पाकिस्तान ब्लैक लिस्टे होने से बचने की कोशिश में लगा है। इसी के चलते इमरान खान सरकार ने गुरुवार को आतंकी हाफिज सईद के चार बड़े करीबियों को गिरफ्तार कर लिया है। ये चारों जफर इकबाल, हाफिज याह्या अजीज, मोहम्मद अशरफ और इकबाल सलाम आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य हैं।
- पिछले दिनों एफएटीएफ से जुड़े एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने माना था कि पाकिस्तान ने यूएनएससीआर 1267 के प्रावधानों को उचित तरह से लागू नहीं किया। वह मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज समेत दूसरे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। ऐसे में अगले हफ्ते पेरिस में होने वाली बैठक में उसे ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में रखा जा सकता है। यह बैठक 12 से 15 अक्टूूबर के बीच होनी है।
- एपीजी ने 228 पेज की रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान 40 में से 32 पैरामीटर पर नाकाम रहा। पाकिस्तान को आईएसआई, अलकायदा, जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामले की पहचान कर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चारों आतंकी टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार
पाकिस्तान के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) के प्रवक्ता ने कहा कि जमात-उद-दावा और लश्कर से जुड़े लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई नेशनल एक्शन प्लान (एनएपी) के तहत जरूरी थी। पंजाब प्रांत के सीटीडी ने चारों को टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। सीटीडी के मुताबिक, जमात और लश्कर का सरगना हाफिज सईद पहले से ही टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद है। अब उससे जुड़े लोगों पर शिकंजा कसा गया है।
ब्लैक लिस्ट होने के बाद कर्ज लेने में पाक को परेशानी
ब्लैक लिस्ट होने के चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ पाकिस्तान की वित्तीय साख को और नीचे गिरा सकते हैं। ऐसे में वित्तीय संकट में जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो सकती है। एफएटीएफ ने पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा है। इस कैटेगरी के देश को कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने पाक को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हुई।