नई दिल्ली:चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने मंगलवार को यह माना कि सीबीआई के राजनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल होने की संभावनाएं अभी भी मौजूद हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब किसी मामले का कोई राजनीतिक रंग नहीं होता है तो सीबीआई अच्छा काम क्यों करती है?
सीजेआई ने कहा कि सीबीआई के अहम पहलुओं को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण से अलग किए जाने के लिए कोशिशें किए जाने की जरूरत है। जस्टिस रंजन गोगोई 18वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सीबीआई को कानून बनाकर कैग के बराबर संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए।
सीबीआई के कानूनी अधिकारों को मजबूत किया जाना चाहिए: सीजेआई
सीजेआई ने कहा- सीबीआई के कानूनी अधिकारों को इस तरह मजबूत किया जाना चाहिए, जिसमें संस्थागत ढांचे, कार्यप्रणाली का तरीका, सीमित ताकत, जिम्मेदारी जैसे पहलुओं का ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि जैसा कि सीबीआई का नियंत्रण दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत किया जाता है, ऐसे में उसका राजनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल होने की संभावना बनी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी की: सीजेआई गोगोई
उन्होंने कहा मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि इस संस्था में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त क्षमता है। जांच के वक्त एजेंसी यह न देखे कि किसी व्यक्ति का दर्जा क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक राजनीतिक हस्तक्षेप से सीबीआई की कार्यप्रणाली को बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की हैं।
बिना देरी उचित कदम उठाए जाएं: सीजेआई
सीजेआई ने कहा- निगरानी और नियंत्रण ऐसा होना चाहिए, जिससे यह निश्चित हो कि पुलिस और एजेंसी लोगों को बिना किसी की परवाह किए सर्विस दे। किसी अपराध की जांच या फिर किसी के खिलाफ कदम उठाते वक्त इस बात का ध्यान न रखा जाए कि उसका दर्जा क्या है। सीबीआई का मकसद सेवा देने का होना चाहिए। किसी मामले की जांच करते वक्त आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और उसके खिलाफ उचित कदम बिना देरी के उठाए जाएं।