सभी ने सीखे आत्मविश्वाश बढ़ाने के गुण
ठाणे। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी व साध्वी मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में ठाणा तेरापंथ भवन में “बुस्ट योर सेल्फ कॉन्फिडेंस” कन्या-किशोर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें कन्या-किशोरों के साथ उनके अभिभावकों ने भाग लिया। साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने अपने प्रभावशाली उद्बोधन में कहा – जिंदा वो नही जिसकी सांस जिंदा है बल्कि जिंदा वो है जिसका विश्वाश जिंदा है। जीवन मे समस्याओं का आना धूप-छाव के खेल की तरह है। बहती नदियों को भी चट्टानों के सामना करना ही पड़ता है। सोचिए मुश्किलें पहाड़ीनुमा है जो क्या हुआ। हम मानसिक रूप से इतने ऊंचे उठ जाए कि हवाई जहाज बनकर मुश्किलों के उस ऊंचे पर्वत को भी लांघ संके। वो हवाई जहाज होगा हमारा आत्मविश्वास। आत्मविश्वास वो चाबी है जो समस्या रूपी हर ताले को खोल सकती है। आत्मविश्वास वो सोपान है जिसपर चढ़कर व्यक्ति लक्षित मंजिल को प्राप्त कर सकता है। जिस व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होता है, वह डरा-डरा रहता है। वह तत्काल की निर्णय नही ले सकता। उसके भीतर उत्साह नजर नही आता। आत्मविश्वासी व्यक्ति पटरी से उतर चुकी जिंदगी की गाड़ी को पुनः पर ले आता है और मस्ती का जीवन जीता है। आत्मविश्वाश को बढ़ाने के लिए चंद्रस्वर के साथ तैजस केंद्र पर ध्यान कर संकल्प करें। साध्वी श्रीजी ने कन्या-किशोरों के साथ पूरी परिषद को सेल्फ कॉन्फिडेंस को बुस्ट करने के विभिन्न प्रयोग करवाएं।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा – जीवन मे सफल होने के लिए एक अष्ट शब्दाक्षरी मंत्र है “हार न मानो, कभी नहीं, कभी भी नहीं” यह मंत्र हमारे आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है। जो व्यक्ति परिस्तिथियों से प्रताड़ित होकर हार मान लेता है, वह कभी सफल नही हो सकता।
साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा आत्मविश्वाश हमारे जीवन का चिराग है, इस चिराग को सदा प्रज्वलित रखें। यह पूरे जीवन को आलोकित कर देगा। साध्वी स्मतव्यशाजी ने मंगल संगान किया।
कन्या मंडल सह-संयोजिका विश्वा बरलोटा एवं राशि श्रीश्रीमाल तथा किशोर मंडल के संयोजक यश धोका ने साध्वी जी के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन लगातार कराने का अनुरोध किया। ठाणा तेरापंथ सभा अध्यक्ष देविमाल श्रीश्रीमाल की देखरेख में इस कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ।
ठाणे तेरापंथ भवन में हुआ कन्या-किशोर कार्यशाला का आयोजन
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