ट्रिप्लीकेन (चैन्नई)। आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन ट्रिप्लीकेन में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् एवं समण संस्कृति संकाय लाडनूं के संयुक्त तत्वावधान में “जैन विधा कार्यशाला” का शुभारंभ स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के द्वारा आयोजन किया गया। यह कार्यशाला रात्रि में 8:15 से चलेगी।
यह कार्यशाला में आचार्य महाप्रज्ञ जी की संस्कृत भाषा की कृति “सम्बोधि” ग्रंथ आधारित चलेगी। जिसके आठ अध्याय इस वर्ष कार्यशाला में अध्ययन कराया जाएगा। प्रियंका बोहरा के मंगलाचरण से कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। तेयुप चैन्नई के अध्यक्ष प्रवीण सुराणा ने जैन विधा कार्यशाला की जानकारी दी। संयोजक दीपक कातरेला ने भी अपने प्रासंगिक विचार व्यक्त किये। इस कार्यशाला को सफल बनाने में प्रियंका बोहरा, सारिका मरलेचा, ने भी अच्छा श्रम किया। महेन्द्र जी सेठिया भी प्रशिक्षक के रुप में अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।
सम्बोधि का प्रशिक्षण देते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा – सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र का दिशा बोध है सम्बोधि – अनंत के यात्रा पथ का प्रकाश स्तंभ है संबोधि। उसे अखंड रुप से प्रज्ज्वलित करके रखना है। भगवान महावीर ने कहा है “संबुज्झह किं न बुज्झह। संबुद्ध बनों। बोधी को प्राप्त क्यों नहीं कर रहे हो। “संबोहि खलु पेच्च दुल्लहा “संबोधि का अवसर प्राप्त है। इसका उपयोग करो ओर आगे बढो।
संबोधि और गीता की तुलना करते हुए आपने बताया कि संबोधि के सोलह अध्याय है गीता के अट्ठारह अध्याय है। गीता का अर्जुन कुरु क्षेत्र के समरांगण में क्लीव होता है तो संबोधि का मेधकुमार साधना की समरभूमि में क्लीव बनता है। गीता के गायक योगिराज कृष्ण है और संबोधि के गायक भगवान महावीर है संस्कृत भाषा का यह दुर्लभ ग्रंथ है। स्वाध्याय ध्यान, तत्व दर्शन के साथ जीवन की व्याख्या और जीवन दर्शन को आचार्य महाप्रज्ञ जी ने गीता की शैली में निर्माण किया है। इस तरह “जैन धर्म की गीता है सम्बोधि”। अभातेयुप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भरत मरलेचा , विजयराज गेलङा, दर्शन सेठिया , दर्शन बोहरा सहित लगभग 32 भाई बहन भाग ले रहें हैं।
ट्रिप्लीकेन (चैन्नई) में जैन विधा कार्यशाला का शुभारंभ, 5 अगस्त से 19 अगस्त तक चलेगा
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