मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का शानदार आयोजन
ठाणे। साध्वी श्री अणिमाश्री जी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, माझीवाड़ा में तेरापंथ युवक परिषद ठाणा (सिटी), ठाणा (सेंट्रल), कोपरी व वागले स्टेट के तत्वावधान में मंत्र दीक्षा का भव्य कार्यक्रम समायोजित हुआ। इस कार्यक्रम में ठाणा, एरोली, मुलुंड, कामोठे, मुंब्रा, भिवंडी ज्ञानशाला के लगभग 250 बच्चों एवं 60 प्रशिक्षिकाओं सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की गरिमामय उपस्थिति रही। ज्ञानशाला की आंचलिक संयोजिका श्रीमती सुमन चपलोत एवं सह संयोजिका मधु मेहता भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
साध्वी श्री अणिमाश्री जी ने बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान करते हुए कहा – आध्यात्मिक संस्कारों के द्वार को उद्घाटित करने का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है मंत्र दीक्षा। सत्संस्कारों की प्रकंप दीपशिखा है मंत्रदीक्षा। बचपन में स्वीकार की गई मंत्रत्र दीक्षा पूरे जीवन के सुरक्षित बना सकती है। बचपन संस्कार निर्माण का स्वर्णिम कालखण्ड है। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए प्रारंभ से ही बच्चों की जीवन रूपी खेती पर संस्कारों की पौध लगानी होगी। प्रशिक्षण के जल से उस फसल को पल्लवित व पुष्पित करना होगा। यह कार्य ज्ञानशाला के माध्यम से बखूबी किया जा रहा है। आज अनेक ज्ञानशालाओं के सैकड़ों बच्चे यहां उपस्थित हैं, जो अपनी प्रशिक्षिकाओं के साथ आए हैं। प्रशिक्षिकाएं ज्ञानदान का बहुत बड़ा कार्य कर रही हैं। ये सब साधुवाद की पात्र हैं। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण हो।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा बालक परिवार की आत्मा है। समाज का मेरुदण्ड है। देश की महत्वपूर्ण इकाई है। देश की महत्वपूर्ण इकाई के जीवन को महत्वपूर्ण बनाने के लिए अभिभावक अपने बच्चों को ज्ञानशाला में जरूर भेजें ताकि वे अपने शानदार एवं स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकें। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसा चाहे वैसा ढाल सकते हैं। बच्चों के जीवन के सम्यक निर्माण हेतु आज अभिभावक वर्ग जागरूक बना है और अधिक जागरूक बनाकर ज्ञानशाला को सुदृढ़ बनाएं। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं का श्रम नमनीय है, जो अपनी समय शक्ति का नियोजन बालपीढ़ी को सिंचन के लिए कर रही हैं। तेयुप अपने व्यवस्था प्रबंधन के प्रति जागरूक है। सभा भी व्यवस्था पक्ष को सुदृढ़ बना रहा है। सभी के सहयोह से ज्ञानशाला में निखार आता रहे, मंगलकामना।
साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशाजी, साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंगल संगान किया।
सभा मंत्री श्री जितेंद्रजी बरलोटा, ठाणा तेयुप (सिटी) के अध्यक्ष श्री कमलेश दुग्गड़ ने विचार व्यक्त किए। मुंबई ज्ञानशाला की आंचलिक संयोजिका श्रीमती सुमन चपलोत ने अपने विचारों की सटीक प्रस्तुति दी। सह प्रशिक्षिका श्रीमती निशा भटेवरा ने स्वागत भाषण एनं आभार ज्ञापन सुभाष हिंगड़ ने किया। संचालन मुख्य प्रशिक्षिका भारती सिंघवी ने कुशलतापूर्वक किया। ठाणा ज्ञानशाला के बच्चो ने मंत्र दीक्षा सॉन्ग का रोचक एवं रोचक नाटिका ‘वी नीड योग प्रजेन्स नोट योर गिफ्ट’ की प्रभावी प्रस्तुति देकर अपने पेरेन्ट्स को समय देने की बात कही। मुलुंड ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘इफेक्ट ऑफ मोबाइल फोन’ पर नाटिका प्रस्तुत कर मोबाइल के अत्याधिक उपयोग से बचने की बात कही। एरोली ज्ञानशाला के बच्चों ने भाखरवड़ी कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। खारघर ज्ञानशाला के बच्चों ने कव्वाली एवं भिवंडी ज्ञानशाला के बच्चों ने सुंदर नाटिका प्रस्तुत की। सभी ज्ञानार्थियों की मनमोहक प्रस्तुति से पूरी परिषद भावविभोर हो गई। सभी ने बच्चों का उत्सावर्धन किया।
श्री निर्मलजी श्रीश्रीमाल, श्री देवीलालजी श्रीश्रीमाल, तेयुप अध्यक्ष श्री निर्मल ओस्तवाल, नरेश बाफना, कमलेश दुग्गड़, सुनिल कांठेड़, नीरज बोथरा, पवन ओस्तवाल, विकास आच्छा, कमलेश दुग्गड़, विकास डुंगरवाल, कमलेश नवलखा, राजेश भटेवरा, संजय कटारियैा, संदीप रांका, कमलेश रांका, सुभाष हिंगड़, देवेंद्र पुनमिया, कमलेश चंडालिया, गिरीश सिसोदिया, अमृत श्रीश्रीमाल, प्रशिक्षिका श्रीमती सीमा बडाला, वनिता मेहता, विणा सेठिया, संगीता चंडालिया, पवन मांडोत, कुसुम कटारिया, प्रया मुथा, अल्का श्रीश्रीमाल, रचना बरडिया, सोनल सांखला, रेखा हिंगड़, मीना दुग्गड़, अनिता पालरेचा, रश्मि कोठारी, मनीषा मेहता का सराहनीय सहयोग रहा। संयोजिका श्रीमती सीमा सांखला ने विचार व्यक्त किए।
संस्कारों की अप्रकंप दीप शिखा है मंत्र दीक्षाः साध्वी अणिमाश्री
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