लखनऊ:शहरों में प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान लेने वालों को जेबें और ढीली करनी पड़ सकती हैं। आवास विभाग इस योजना में बनने वाले मकानों की कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह कीमत एक से दो लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती हैं।
उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर मंथन हो चुका है। इस संबंध में विकास प्राधिकरणों से राय मांगी गई है। उनकी राय मिलने के बाद मकानों की कीमत बढ़ाने पर अंतिम फैसला होगा।
राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रहने वालों को प्रधानमंत्री आवास योजना में दो कमरे का मकान बनाकर देने की योजना तैयार की है, लेकिन लागत कम होने की वजह से इन मकानों को बनाने वाले बिल्डर नहीं मिल रहे हैं। इस संबंध में विकास प्राधिकरण उपाध्यक्षो की बैठक में लागत बढ़ाने पर मंथन हुआ।
पीएम आवास की लागत पर राय मांगी
शहरों में पीएम आवास की लागत बढ़ाने पर आवास विभाग ने विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों से राय मांगी है कि कीमतें बढ़ाने से कितना और क्या असर पड़ेगा? विकास प्राधिकरणों की राय मिलने के बाद कीमतें बढ़ाने पर अंतिम फैसला होगा।
लेने वालों को देनी होंगी अधिक कीमतें: प्रधानमंत्री आवास योजना में शहरों में मौजूदा समय ईडब्ल्यूएस मकान की कीमत अभी 4.50 लाख और एलआईजी की 6 लाख रुपये तक निर्धारित है। इसमें ढाई लाख रुपये की सब्सिडी है। जिसका 1.50 लाख रुपये केंद्र सरकार और 1 लाख रुपये राज्य सरकार दे रही है। ईडब्ल्यूएस मकान का कारपेट एरिया 22.77 वर्ग मीटर और एलआईजी का 34.07 वर्ग मीटर रखा गया है। इसमें दो कमरे, रसोई घर, शौचालय, स्नानघर व एक बालकनी देने का मानक तय है। इन मकानों को ग्राउंड प्लस थ्री यानी कुल चार मंजिल का बनाया जाएगा।
चार लाख मकान बनाने का लक्ष्य: आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने प्रधानमंत्री आवास योजना में चार लाख मकान बनाने का लक्ष्य रखा है। इन मकानों को बनाने के लिए शहरी क्षेत्रों के मुफ्त जमीन देने के साथ ही खेती की जमीन का भू-उपयोग आवासीय में करने की सुविधा दी गई है। राज्य सरकार चाहती है कि 2022 तक प्रदेश में रहने वाले बेघरों के पास अपनी छत हो।