प्रभाकरसुरिश्वरजी का भायंदर में भव्य चातुर्मास प्रवेश
भायंदर। चातुर्मास के दौरान संस्कारों का सिंचन तो होता ही है लोगों को संतों का सानिध्य भी प्राप्त होता है। जैन धर्म पूर्णत अहिंसा पर आधारित हैं, जैनत्व में अहिंसा का अत्यधिक महत्व हैं, बारिश के मौसम में कई प्रकार के सुक्ष्म जीव जंतु दिखाई नहीं देते और इन्हे नुकसान नहीं पहुंचे इसीलिए चातुर्मास में चार महीने एक ही जगह रहकर जैन साधु तप, प्रवचन, जिनवाणी आदि का महत्व समझाते हैं।
उपरोक्त विचार पूज्य दक्षसुरिश्वरजी म.सा. के शिष्य सूरिमंत्र पार्श्व पद्मावती के साधक समकित सम्राट आचार्य श्री विजय प्रभाकरसुरिश्वरजी म.सा. ने भव्य चातुर्मास प्रवेश के बाद विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
ज्ञात हो कि लम्बे अंतराल के बाद श्री पार्श्व पद्मावती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ एवं श्रीमती पानीबाई भबुतमलजी रेड ट्रस्ट के तत्वावधान में हो रहे चातुर्मास को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह का माहौल हैं।
गुरुदेव के साथ मुनिराज महापद्मविजयजी म.सा., मुनि श्री पद्मविजयजी म.सा. का भी प्रवेश हुआ इस अवसर पर बोलते हुए समारोह अध्यक्ष विधायक नरेंद्र मेहता ने कहा की आगामी महासभा में प्रस्ताव पारित कर किसी प्रशासनिक ईमारत को आचार्य दक्षसूरिश्वरजी म.सा. का नाम दिया जायेगा जिसका उद्घाटन भी गुरुदेव की उपस्थिति में संपन्न होगा। उन्होंने कहा कि शासन के सेवा में कभी पीछे नहीं हटेंगे,मेहता ने बताया की अनेक जगहों पर हमने साधु-संतों के नाम दिए हैं।
इस अवसर पर महापौर डिंपल मेहता,पूर्व महापौर गीता जैन, नगरसेवक सुरेश खंडेलवाल, नगरसेवक डा.सुशील अग्रवाल, भाजपा नेता भगवती शर्मा, समाजसेवी व शताब्दी गौरव के प्रधान संपादक सिद्धराजजी लोढ़ा,मुबंई राजस्थान के प्रधान संपादक ललित शक्ति युथ फोरम के अध्यक्ष दीपक आर जैन सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थे।
चातुर्मास के मुख्य लाभार्थी श्रीमती पानीबाई भबुतमलजी रेड (सरत), सह आयोजक स्व. कपूरचंदजी चंडालिया, प्रसन्नबाई सांकलचंदजी चौहान, स्व.राजमलजी अंजानिया, चातुर्मास सहयोगी प्रेमलतादेवी भंवरलालजी बाफना परिवार हैं।
चातुर्मास के दौरान 11 अगस्त को विशाल एवं प्रभावशाली पद्मावती महापूजन,के अलावा सामूहिक सवा करोड़ नवकार महामंत्र जाप का अनूठा आयोजन,चातुर्मास सामूहिक तप, आषाढ़ सूद तेरस से कार्तिक पूनम तक सांकली अट्ठाम तप,प्रति माह शुभ योग में श्री सरस्वती देवी एवं श्री महालक्ष्मी देवी महापूजन,सामूहिक सिद्धितप, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवन की अलौकिक अभिषेक पूजा,अनंत लब्धिनिधान गौतमस्वामी महापूजन, विश्वशांति एवं सकल श्री संघ विकास हेतु वार्षिक महापूजन सहित अनेक धार्मिक व सामाजिक कार्य संपन्न होंगे। गुरु प्रवेश समारोह में संगीत की रमझट युवा संगीतकार भरत टी. ओसवाल, मुकेश तातेड़, यश आर जैन व मेहमान कलाकार राजेश जैन ने भक्ति की धूम मचायी। सम्पूर्ण समारोह का यादगार धाराप्रवाह संचालन, मंच सारथी भूषण ललितजी परमार ने किया।
चातुर्मास के मुख्य लाभार्थी परिवार के प्रमुख, भवन निर्माता रतिलालजी रेड़,लीलाबेन,संजयजी रेड़,वैशाली बेन व गगनजी रेड़ का संघ द्धारा तीलक,माला,श्रीफल,शाल व साफा पहनाकर बहूमान किया गया।
मुख्य लाभार्थी परिवार ने आचार्य भगवंत को कांबली ओढ़ाई व चातुर्मास सहयोगी परिवार ने गुरुपूजन किया।
आयोजन को सफल बनाने में संघ के सक्रिय कार्यकर्ता विपीन गेमावत,कल्पेशभाई,उत्तम मामा,संजयभाई रेड़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मुसलाधार बारिश के बावजुद गुरुदेव के सामेय्या में सैकड़ो गुरुभक्तों ने उपस्थिति दर्ज की,गुरुदेव का भव्य सामेय्या सिमंधर स्वामी मंदिर से प्रारंभ होकर पद्मावती नगर में समारोह में तब्दील हुआ।
गुरुदेव के सामेय्या में रथ, घोड़े, बैण्ड़, ढ़ोल, तुतारी,
मटका,मोर व कृष्णा नृत्यकार के अलावा समाज के महिला मंड़ल आकर्षण के केन्द्र थे,रास्ते में रंगोली व पंडाल मे सुन्दर गवली भी बनाई गई थी,खचाखच भरे पंडाल में भक्तों के बैठने की जगह कम पड़ गई थी,मुसलाधार बारिश के बावजूद भक्तों की भारी भीड़ व उनका उत्साह देखकर आचार्य भगवंत प्रभाकर सुरिश्वरजी भावुकता से गदगद् हो गए।
कार्यक्रम के अंत मे मंच सारथी भूषण ललितजी परमार का उनके ओजस्वी संचालन के लिए तीलक, माला, श्रीफल, शॉल से सम्मान किया गया।