नई दिल्ली:अमेरिका और फ्रांस के साथ हुए समझौतों से भारतीय नौसेना को हाल के वर्षो में काफी लाभ हुआ है। इन समझौतों से भारतीय नौसेना को हिंद महासागर के दूरस्थ इलाकों और अदन की खाड़ी में ईंधन, सूचनाएं और अन्य तरह का सहयोग हासिल होने लगा है।
वरिष्ठ नौसेना अधिकारी के अनुसार दोनों देशों के साथ हुए समझौतों से भारतीय युद्धपोत हिंद महासागर, अदन की खाड़ी और फारस की खाड़ी में आसानी से अपने मिशन पूरे कर रहे हैं। इस सिलसिले में ताजा उदाहरण समुद्री डाकुओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैनात भारतीय युद्धपोतों को दूर समुद्र में मिला सहयोग है।
अदन की खाड़ी में साथी देशों के नौसैनिक अड्डों से मिली मदद से भारतीय नौसेना की कार्रवाई काफी आसान हो गई। इससे पहले भारतीय युद्धपोतों को अदन की खाड़ी में गश्त के दौरान जरूरी वस्तुओं के लिए नजदीक के बंदरगाह में जाना होता था। लेकिन अमेरिका से समझौते के बाद भारतीय युद्धपोत इलाके में तैनात अमेरिकी तेल टैंकरों से जरूरत के मुताबिक ईंधन ले लेते हैं। इन्हें तत्काल भुगतान भी नहीं करना पड़ता।
इतना ही नहीं जिबूती और रीयूनियन स्थित फ्रांस के नौसैनिक अड्डों से भी भारतीय युद्धपोतों को कई बार मदद मिली है। नौसेना अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से हुए इन समझौतों का लाभ नौसेना को व्यापक पैमाने पर मिल रहा है।
समुद्री डाकुओं के खिलाफ नौसेना के अभियान से भारतीय व्यापारिक जहाज सुरक्षित माहौल में ओमान की खाड़ी, फारस की खाड़ी, अंडमान सागर और मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजर रहे हैं। पहले इन जल क्षेत्रों में हमेशा समुद्री लुटेरों का खतरा बना रहता था। लेकिन हाल के वर्षो में नौसेना ने ऑपरेशन गल्फडेप और मालडेप चलाकर इन समुद्री क्षेत्रों को काफी हद तक लुटेरों से मुक्त करा दिया है।