नई दिल्ली: भारतीय सेना के एक शीर्ष अफसर ने पाकिस्तान को चीन की ‘छद्म अंतरिक्ष शक्ति’ करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पड़ोसियों (चीन-पाक) से बढ़ते संभावित खतरे के मद्देनजर भारत की अंतरिक्ष नीति को नया रूप देने की जरूरत है।
लेफ्टिनेंट जनरल तरनजीत सिंह ने मंगलवार को यहां पांचवें ओआरएफ कल्पना चावला सालाना स्पेस पॉलिसी डायलॉग में कहा कि भारत को सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का फायदा उठाना चाहिए।
‘हथियारों और मिसाइलों की तैनाती में हो अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल’
ले. जनरल सिंह के हवाले से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने कहा कि भारत को सैन्य लॉजिस्टिक के लिए ही नहीं, बल्कि हथियारों और मिसाइल की तैनाती में भी अंतरिक्ष तकनीकी का इस्तेमाल करना चाहिए। चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों के मद्देनजर अंतरिक्ष नीति का दोबारा से तैयार किया जाना जरूरी हो गया है।
सिंह के मुताबिक, ‘‘पाक, चीन की छद्म अंतरिक्ष शक्ति है। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) समिट में इस बारे में बातचीत हुई थी। चीन का अपना एक अंतरिक्ष कार्यक्रम है, जिसका इस्तेमाल वह सुरक्षा और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की क्षमता बढ़ाने के लिए करता है।’’
ले.जनरल ने यह भी बताया कि चीन ने हाल ही में कम्युनिकेशन के लिए क्वांटम सैटेलाइट लॉन्च किया है। भारत को भी इसी तरह के सैटेलाइट लॉन्च करने की जरूरत है।
चीन के ए-सैट टेस्ट से चिंता
सिंह के मुताबिक- चीन की ए-सैट (अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराना) क्षमता ने भारत को चिंता में डाल दिया है। हालांकि भारत ने भी ए-सैट परीक्षण में कामयाबी हासिल कर ली है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश बन गया है।
इससे पहले इसरो के वैज्ञानिक शिवतनु पिल्लई ने कहा था कि सैटेलाइट्स की रक्षा करना और उसे बनाए रखना न केवल भारत बल्कि अन्य देशों के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। इसे केवल अंतरिक्ष पर नियंत्रण के जरिए ही साधा जा सकता है। मौजूदा वक्त में अंतरिक्ष में 1700 एक्टिव सैटेलाइट हैं।
पाक-चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत को अंतरिक्ष नीति बदलने की जरूरत: सेना
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