नई दिल्ली:क्या किसी विधायक या सांसद को सदन के अंदर रिश्वत लेकर किसी के पक्ष में वोट देने के अपराध को संविधान के अनुच्छेद 105 (2) और 194 (2) अभियोजन से छूट हासिल है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस सवाल को संविधान पीठ को सौंप दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला झारखंड की जेएमएम विधायक और पूर्व सीएम शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन की अपील पर विचार करते हुए बड़ी पीठ को भेजा। सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की है जिसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि वह अनुच्छेद 194 (2) के तहत छूट की हकदार नहीं हैं। क्योंकि उन्होंने सीता सोरेन पर 2012 में राज्यसभा के चुनावों में एक व्यक्ति के पक्ष में सदन में वोट देने का आरोप है। बाद में यह चुनाव रद्द कर दिया गया था और जांच सीबीआई को दे दी गई थी।
पीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि पीवी नरसिंह राव बनाम राज्य (1998) केस में पांच जजों की पीठ ने बिल्कुल इस सवाल का जवाब दे दिया है। मगर पीठ इस सवाल के दूरगामी प्रभाव हैं, जो मामला आया है और वह बेहद महत्वपूर्ण और व्यापक जनहित का है इसलिए हम इसे संविधान पीठ को भेज रहे हैं।
नरसिंह राव मामले में अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए सांसदों को रिश्वत देने का आरोप था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में बहुमत के फैसले में कहा था कि जनप्रतिनिधि को संसद सदन में की गई किसी भी कार्यवाही पर उसके खिलाफ मामला नहीं चलाया जा सकता क्योंकि अनुच्छेद 105(2) के तहत उन्हें अभियोजन से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त है। हालांकि अल्पमत के फैसले में दो जजों ने कहा था कि इन संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रदान की गई सदन में छूट खास तरह से भाषण देने या वोट देने के लिए ली गई रिश्वत तक विस्तारित नहीं हो सकती। झारखंड हाईकोर्ट ने इसी अल्पमत फैसले को आधार बनाते हुए सीता सोरेन के खिलाफ अभियोजन समाप्त करने की याचिका खारिज कर दी थी।
क्या है संविधान का अनुच्छेद 194 (2) और 105(2) :
विधानसभा या संसद के सदन के अंदर की गई किसी भी कार्रवाही पर सदस्यों को पूरी छूट, उन पर सदन में की गई किसी कार्रवाई के लिए देश की किसी अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
जनसेवकों को अपराध से छूट नहीं :
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट यह फैसला दे चुका है कि सरकारी अधिकारी या जनसेवक को कार्य का निर्वहन करने के दौरान हुई गलतियों के लिए छूट प्राप्त होगी, लेकिन इस दौरान यदि वे अपराध करते हैं यानी रिश्वत लेते हैं या किसी को चोट पहुंचाते हैं तो उन्हें यह छूट प्राप्त नहीं होगी।