नई दिल्ली: वामपंथी संगठनों से जुड़ी दस ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ 8 और 9 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल का रेल और सड़क परिवहन सेवाओं के अलावा आम जनजीवन पर भी असर पड़ रहा है। सीएम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चेतावनी का भी बंगाल में कोई असर नहीं दिख रहा है। कई संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन को ब्लॉक कर दिया है, वहीं ओडिशा में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और टायर जलाए।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस हड़ताल में किसान और बैंक कर्मी भी शामिल हैं। उन्होंने ट्रेड यूनियन कानून 1926 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कथित पारदर्शिता के नाम पर गलत कर रही है और इससे बंधुआ मजदूरी का खतरा पैदा होगा।
*पश्चिम बंगाल में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन कर रहे CPM के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। कोलकाता में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की खबर आ रही है।
*न्यूनतम सैलरी और सोशल सिक्यॉरिटी स्कीम की मांग को लेकर सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स ने हावड़ा में रेलवे लाइन को ब्लॉक किया।
*असम के गुवाहाटी में न्यूनतम सैलरी और सोशल सिक्यॉरिटी स्कीम की मांग को लेकर सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
20 करोड़ कर्मचारी होंगे शामिल
दस ट्रेड यूनियनों आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और सेवा ने संयुक्त रूप से आम हड़ताल की घोषणा की है। इन संगठनों का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिक कल्याण के कदम उठाने के बजाए दमनकारी नीतियां अपनाईं।
उन्होंने कहा कि दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंकिंग, बीमा और परिवहन क्षेत्र के लोगों के इस हड़ताल में शामिल होने की उम्मीद है। कौर ने कहा, ‘हम बुधवार को नई दिल्ली में मंडी हाउस से संसद भवन तक विरोध जुलूस निकालेंगे। इसी तरह के अन्य अभियान देशभर में चलाए जाएंगे।’ कौर ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संघ एकतरफा श्रम सुधारों का भी विरोध करती हैं।
हड़ताल की मुख्य मांग
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली सार्वभौमिक हो
- उपभोक्ता वस्तुओं के वायदा व्यापार पर रोक लगे
- मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये मिले
- स्थायी प्रकृति के काम में ठेकेदारी समाप्त हो
- समान काम समान वेतन लागू हो
- नरेंद्र मोदी दो करोड़ युवाओं को नौकरी का वादा पूरा करें।
- स्वामीनाथन कृषि आयोग की अनुशंसा को लागू किया जाए।
- श्रमिका का डेमोक्रेटिक राइट बहाल किया जाए।