वाशिंगटन:अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने सीरिया और अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाए जाने पर राष्ट्रपति ट्रंप से जुदा रुख अपना लिया है। सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर ट्रंप के साथ मतभेदों के बाद मैटिस ने रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। वे फरवरी 2019 तक पद से हट जाएंगे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लिखी चिट्ठी में मैटिस ने कहा है कि उन्हें इस पद के लिये ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जिसके विचार उनसे मेल खाते हों। इससे पहले ट्रंप ने ट्वीट कर मैटिस के इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री फरवरी के अंत में अपना पद छोड़ देंगे। पेंटागन की प्रवक्ता ने बताया कि मैटिस ने अपना इस्तीफा खुद राष्ट्रपति को सौंपा।
मैटिस ने अपने इस्तीफे में लिखा कि मेरे कार्यकाल का अंतिम दिन 28 फरवरी 2019 है। यह उत्तराधिकारी को नामित करने और उसकी नियुक्ति की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त समय देगा। साथ ही सुनिश्चित करेगा कि मंत्रालय के हितों का पूरी तरह से ध्यान रखा जाए और आने वाले कार्यक्रमों जैसे संसदीय सुनवाई और फरवरी में होने वाली नाटो की रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक ठीक से हो।
वहीं ट्रंप ने ट्वीट किया, जनरल जिम मैटिस मेरे कार्यकाल में पिछले दो साल से रक्षा मंत्री के रूप में सेवाएं देने के बाद फरवरी के अंत में ससम्मान सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने लिखा, जिम के कार्यकाल में बहुत प्रगति हुई है, खास तौर से नए खरीदी के संबंध में।
भारत के बड़े समर्थक
मैटिस भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के बड़े समर्थक हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ पेंटागन में भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों पर बात की थी। तब मैटिस ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध दुनिया के सबसे पुराने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों की नेचुरल पार्टनरशिप हैं। पाकिस्तान को समय-समय पर फटकार लगाने का श्रेय भी जिम मैटिस को ही जाता है।
ट्रंप को मनाने में नाकाम रहने पर छोड़ा पद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 68 वर्षीय मैटिस गुरुवार की दोपहर व्हाइट हाउस गए थे जहां उन्होंने अंतिम बार सीरिया से सैनिकों को वापस नहीं बुलाने पर ट्रंप को राजी करने का प्रयास किया। लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई, इसपर उन्होंने पद से इस्तीफा देने की बात राष्ट्रपति से कह दी।
ऐसा व्यक्ति चुने जिससे ट्रंप का विचार मिले
मैटिस ने ट्रंप को सौंपे गए इस्तीफे में लिखा है कि यह उनके लिए पद छोड़ने का सही वक्त है। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास ऐसा रक्षा मंत्री होना चाहिए जिसके विचार इन मामलों पर और अन्य विषयों पर भी आपसे बेहतर मेल खाते हों।
विदेशी सहयोगी भी ट्रंप के फैसले से दंग
68 वर्षीय पेंटागन प्रमुख ने इसका जिक्र नहीं किया है कि वह खास तौर से सैनिकों को वापस बुलाने के कारण इस्तीफा दे रहे हैं। हालांकि, ट्रंप के इस फैसले से विभिन्न विदेशी सहयोगी और सांसद सभी दंग रह गए हैं।
विदेश नीति पर मतभेद
रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया और अफगानिस्तान सहित विदेश नीति के विभिन्न मामलों पर मैटिस और ट्रंप के बीच मतभेद था। मैटिस का नाम ट्रंप प्रशासन के उन वरिष्ठ अधिकारियों की लंबी सूची में जुड़ गया है जिन्हें पद छोड़ना पड़ा है या पद से हटा दिया गया है। ट्रंप ने ट्विटर पर घोषणा करके विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को हटा दिया था। हालांकि, ट्रंप ने कहा कि जल्दी ही नए रक्षा मंत्री की घोषणा की जाएगी।
अफगानिस्तान से आधे सैनिकों को वापस बुलाएगा अमेरिका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के एक दिन बाद यह घोषणा की गई। फिलहाल, अफगानिस्तान में तकरीबन 14000 अमेरिकी सैनिक हैं। इनमें से 7 हजार सैनिकों को एक से दो महीने में वापस बुलाया जाएगा। ये सैनिक या तो अफगान बलों के समर्थन में नाटो मिशन के साथ काम कर रहे हैं या अलग आतंकवाद निरोधक अभियान में काम कर रहे हैं।
पिछले साल नए सैनिक भेजने को राजी किया था
मैटिस और अन्य शीर्ष सैन्य सलाहकारों ने पिछले साल ट्रंप को अफगानिस्तान में हजारों नए सैनिक भेजने के लिये राजी किया था। वहां तालिबान बड़ी संख्या में स्थानीय बलों को मार रहा है और उसका प्रभाव बढ़ रहा है। ट्रंप ने उस वक्त कहा था कि उनकी सूझ-बूझ अफगानिस्तान से बाहर निकलने के लिये कह रही है।
तालिबान का दबाव
सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला तालिबान के साथ शांति समझौते को लेकर अमेरिका के दबाव बनाने के बीच आया है। साथ ही सीरिया और अफगानिस्तान के बारे में ट्रंप के फैसले से पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान में अप्रत्याशित घटनाएं हो सकती हैं।
17 साल से मौजूद है सेना
– अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद 2001 में अफगानिस्तान में सेना भेजी थी
– हमलों के जिम्मेदार अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के अफगान में होने की जानकारी थी
– लेकिन तालिबान ने अमेरिका को लादेन को सौंपने से इनकार कर दिया था
– इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने लादेन को पकड़ने और तालिबान को सत्ता से हटाने के लिए सैन्य अभियान शुरू किया था
– अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज ने लादेन को 2011 में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मार दिया था
– अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ अभियान 2014 में खत्म हो गया था
– लेकिन तालिबान के बढ़ते हमलों और लोकतंत्र की स्थापना का हवाला देकर सेना को अफगान में ठहरा दिया गया
2400 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं
अफगानिस्तान में अब तक के अभियान में 2400 अमेरिकी सैनिक तालिबान से जंग में जान गंवा चुके हैं। वहीं ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में दावा किया था कि राष्ट्रपति बनने के बाद वे अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाएंगे।
दूसरा 9/11 हमला होने की आशंका
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन की इस योजना का व्हाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ जॉन केली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने विरोध किया है। रिपब्लिकन पार्टी से सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने ट्वीट कर इसे जोखिम भरा कदम बताया। उन्होंने कहा कि इसके चलते अमेरिका पर दूसरा 9/11 हमला हो सकता है।