- पांच साल पूर्व प्रभु श्रीराम को टेंट में देख छलके थे आंसू
- भदोही का रमेश सिंह 225 किमी पैदल चलकर करेगा श्रीराम का दर्शन
भदोही। भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में रामलला का भव्य एवं अलौकिक मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह सनातन और हिंदुत्व के लिए गौरव की बात है। लेकिन यह पल उन राम भक्तों के लिए सवसे अद्वितीय होगा जब प्रभु श्रीराम गर्भगृह में विराजमान होंगे। यह ख़ुशी भदोही के रमेश सिंह के लिए भी अद्भुत होगी। पांच वर्ष पूर्वअयोध्या में रामलाला के दर्शन के बाद उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक प्रभु श्रीराम का मंदिर में नहीं विराजते तब तक वे पाँव में जूते, चप्पल और खड़ाऊ नहीं पहनेंगे।
उत्तरप्रदेश के जनपद भदोही के रमेश कुमार सिंह का सपना पांच साल बाद अब साकार होने जा रहा है। रमेश सिंह भदोही की उसी मिट्टी से जुड़े हैं जहाँ माँ सीता ने बाल्मीकि आश्रम में अपने बनवास काल व्यतीत किया। वह पवित्र धरती सीता समाहित स्थल यानी सीतामढ़ी यहीं है। रमेश सिंह सीतामढ़ी से करीब के गाँव गोलखरा के रहनेवाले हैं। साल 2018 में रमेश कुमार सिंह अपने परिवार के साथ प्रयागराज से ट्रेन पड़कर अयोध्या गए थे। वहां प्रभु श्रीराम के दर्शन के बाद उन्हें बड़ी ग्लानि हुई। क्योंकि भगवान मंदिर में विराजमान होने के बजाय अस्थाई टेंट यानी तालपतरी में विराजमान रहे। इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता तब तक वे अपने पांव को पांव में पादुका, जूता -चप्पल नहीं पहनेंगे।
रमेश सिंह बताते हैं की पवित्र सरयू नदी में स्नान कर जब वह प्रभु राम के दर्शन हेतु पहुंचे, तो भगवान को टेंट में विराजते देख उनकी आंखें भर आयी। आंखों से पीड़ा भरे आंसू छलक पड़े। उन्होंने अपने पाँव में पहने हुए चप्पल को वहीं फेंक दिया और संकल्प लिया कि जब तक प्रभु राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाएगा। भगवान गर्भगृह में स्थापित नहीं हो जाते, तब तक नंगे पांव रहेंगे।
रमेश सिंह उसी दौरान अपने संकल्प को दृढ कर लिया। वह तभी से चाहे ठंडी हो या बरसात। तेज धूप में तपती धरती हो या पहाड़। कभी किसी की परवाह किए बगैर अपने संकल्प पर अडिग रहे। कहीं यात्रा करनी हो या किसी कार्यक्रम में जाना हो वह नंगे पांव ही जाते हैं। अब उनका कहना है कि वह नंगे पांव भदोही से करीब 225 किलोमीटर दूर स्थित अयोध्या धाम जाकर पतित पावनी मां सरयू की अविरल जलधारा में स्नान के उपरांत भगवान राम के दर्शन के करेंगें और वहीं अपना संकल्प तोड़ेंगे। वह आगामी 12 जनवरी को पैदल दर्शन-पूजन यात्रा पर निकलेंगें। और जब तक दर्शन नही मिल जाएगा, वापस नही लौटेंगें। वह राममंदिर बनने से बेहद प्रसन्न हैं।
जुलाई 2020 में सुप्रीम कोर्ट से रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद वे बेहद खुश हुए। लेकिन उस साल 4-5 माह तक निर्माण कार्य शुरू न होने पर बहुत दुःखी हुए। बाद में 2020 में लॉक डाउन के समय ही पंचकोशी यात्रा के दौरान अयोध्या गए। इस समय प्रधानमंत्री मोदी भी अयोध्या गए थे। रमेश सिंह साईकिल से अयोध्या पहुचें थे। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद उनका संकल्प पूरा होने को है। इसलिए वे इतने उत्साहित हैं कि पैदल चल कर रामलला का दर्शन-पूजन करेंगे। वह 28 जुलाई 2023 को मुख्यमंत्री योगी से भी मिल चुके हैं। रमेश अभी भी नियमित चार से पांच घण्टे पूजा पाठ करते हैं।