- अपने कर्त्तव्य के प्रति रहें जागरूक : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
- प्रातःकाल के मंगलपाठ संग मंगल प्रवचन से लाभान्वित हुए कालबावासी
21.12.2023, गुरुवार, कालबादेवी, दक्षिण मुम्बई (महाराष्ट्र) : जन-जन के मानस का आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करने वाले, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने कालबादेवी के पंचदिवसीय प्रवास के अंतिम दिन गुरुवार को ऐसी कृपा कराई कि कालबावासी हर्षविभोर हो उठे। शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गुरुवार को प्रातःकाल के बृहद् मंगलपाठ के साथ ही श्रद्धालुओं को अपनी मंगल देशना से लाभान्वित कर दिया। वह भी महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल के प्रथम तल पर बने आचार्य तुलसी सभा गृह से। ऐसी कृपा प्राप्त कर इस स्कूल प्रबन्धन से जुड़े लोग ही नहीं, कालबादेवीवासी जनता भी आह्लादित हो उठी।
गुरुवार को प्रातःकाल के प्रथम बृहद् मंगलपाठ के लिए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी स्कूल के प्रथम तल पर बने आचार्य तुलसी सभागृह में पधारे। वहां सूर्योदय के प्रथम मंगलपाठ का उच्चारण किया। तदुपरान्त तत्काल ही आचार्यश्री ने मुख्य प्रवचन कार्यक्रम भी प्रारम्भ कर दिया।
शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन देशना प्रदान करते हुए कहा कि गुरुदेव तुलसी की कर्त्तव्य षष्ठत्रयशिंका पुस्तक में वर्णित कर्त्तव्य परायणता की बातों का वर्णन करते हुए कहा कि आदमी को अपने कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। कर्त्तव्य के प्रति लापरवाह होना, कर्त्तव्यों से दूर रहना अव्यवस्था को उत्पन्न करने जैसा होता है। इससे विकृतियां आती हैं। इसलिए सभी को अपने कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। साधु का पहला कर्त्तव्य होता है, अपनी साधुता की रक्षा करना। जब साधुत्व सुरक्षित हो जाए तो फिर प्रवचन व ज्ञान प्रदान के द्वारा जितना जनोपकार हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। पारिवारिक, सामाजिक, लौकिक व लोकोत्तर कर्त्तव्य भी होते हैं। आदमी को अपने जीवन में कर्त्तव्य का बोध होना चाहिए और उसके प्रति जागरूक रहने का भी प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने कहा कि सर्वप्रथम तेरापंथ के इतिहास में आचार्यश्री तुलसी मुम्बई पधारे थे। उसके बाद तो मानों परंपरा चली आ रही है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी भी मुम्बई पधारे थे। अब मेरा भी आना हो गया। एक बार आचार्यश्री तुलसी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी में आचार्य महाप्रज्ञ को देखो और आचार्य महाप्रज्ञ में तुलसी को देखो। यह बात किसी अन्य संदर्भ की एकता में कही थी, किन्तु मुम्बई के कालबादेवी में स्थित इस महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल में आचार्य तुलसी सभा गृह तो अवश्य देखने को मिल रहा है। जहां चारित्रात्माओं का भी प्रवास होता है। इस प्रकार अपने गुरुमुख से सुन्दर प्रसंगों का वर्णन सुनकर श्रद्धालु हर्षविभोर नजर आ रहे थे।
मुम्बई की उपनगरीय यात्रा का यह पहला अवसर था, जब श्रद्धालुओं को प्रातः के मंगलपाठ के साथ मंगल प्रवचन श्रवण का भी सौभाग्य प्राप्त किया। मंगल प्रवचन के कुछ क्षण पश्चात ही आचार्यश्री ने जनोपकार करने के उद्देश्य से कालबादेवी के आसपास के क्षेत्रों में पधार गए।