- पुज्यप्रवर ने बताई प्रायश्चित की महता
- दीपावली का वृहद मंगलपाठ कल सायं
11.11.2023, शनिवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)। संत शिरोमणि युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पवित्र आभावलय से मुंबईवासी नित्य अध्यात्म ऊर्जा को प्राप्त कर रहे है। एक ओर दीपावली का पावन पर्व लोगों में उल्लास, उमंग का कारण बना हुआ है वही इस बार आपने आराध्य का प्रत्यक्ष सान्निध्य प्राप्त कर श्रद्धालुओं का उत्साह द्विगुणित हो उठा है। गुरुदेव द्वारा दीपावली का वृहद मंगलपाठ एवं भगवान महावीर का 2550 वां निर्वाण दिवस के आयोजन को लेकर सभी में अतिशय उत्साह का माहौल है।
आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में भगवती सूत्र के २५वें शतक के सूत्रों का वर्णन करते हुए कहा – दोष लग जाएं तो उसका प्रायश्चित आवश्यक होता है। जो व्यक्ति वीतराग नहीं होता, छठे गुणस्थान तक के व्यक्ति तक से गलती भी हो सकती है व अशूभ योगों में प्रवृति भी हो सकती है। उससे आगे सातवें से चौदहवें गुणस्थान वालों से अशुभ योग रूप गलतियाँ नहीं होती व न प्रमाद होता है। प्रमाद व भूल के दो कारण है, आश्रव रूप व अशुभ योग रूप। अशुभ योग रूप भूलों को प्रमत संयत गुणस्थान कहा गया है। मोह के उदय से छोटी व बड़ी कई तरह की गलतियाँ हो सकती है। कई बार साधु को चिकित्सा के लिए भिन्न समाचारी में भी जाना पड़ सकता है। ऐसे में आवश्यक प्रायश्चित द्वारा वह अपने दोष की आलोचना कर सकता है, प्रायश्चित कर सकता है। प्रायश्चित आत्मा की शुद्धि करता है।
गुरुदेव ने आगे बताया कि दस प्रकार के प्रायश्चित का उल्लेख मिलता है। ये दस प्रकार मानों आत्म चिकित्सा के माध्यम हैं। इनको तीन भागों में बांट सकते है – रोगी, चिकित्सा व दवा व प्रायश्चित। धर्म के सन्दर्भ में – गलती करने वाला एक प्रकार से रोगी है और आचार्य या दंडाधिकारी चिकित्सक। यहां प्रायश्चित दवाई का काम करती है। प्रायश्चित भी दोषों के अनुरूप होता है। जहां छोटी गलती के लिए तप व स्वाध्याय प्रायश्चित है वहीं बड़ी गलती के लिए छेद प्रायश्चित। जिस प्रकार डाक्टर से बीमारी नहीं छुपानी चाहिए उसी प्रकार गुरू से गलती कभी नहीं छिपानी चाहिए। ऋजुता से, सरलता से गलती स्वीकार होती है तो परिष्कार भी किया जा सकता है।
13 को भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण दिवस
दीपावली के संदर्भ में 12 नवंबर को सायं 07:51 पर आचार्य श्री द्वारा वृहद मंगलपाठ फरमाया जायेगा। 13 नवंबर को भगवान महावीर का 2550 वां निर्वाण दिवस का समायोजन है, वहीं गुजराती नववर्ष के उपलक्ष्य में दिनांक 14 नवंबर को प्रातः 07:21 पर वृहद मंगलपाठ गुरुदेव द्वारा प्रदान किया जाएगा। तीनों कार्यक्रमों का अमीर्तवाणी के यूट्यूब चैनल पर live प्रसारण किया जायेगा।