पर्वत पाटिया। महा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री हिम श्रीजी तेरापंथ भवन पर्वत पाटिया में चातुर्मास हेतु विराज रहे हैं। उनके सान्निध्य में आज मास खमण तपस्वी श्री इंद्रचन्द जी बोथरा का तेरापंथी सभा, पर्वत पटिया द्वारा बहुमान किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को अपना मंगल उद्बोधन देते हुए साध्वी श्री हिम श्री जी ने कहा -जैन दर्शन में तपस्या का विशेष महत्व बताया गया है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति चाहता है लेकिन अनंत-अनंत समय से कर्म बंधन के कारण व्यक्ति का भव भ्रमण हो रहा है। भव भ्रमण की जंजाल से छूटने का एक ही मार्ग है और वह है तपस्या। तपस्या के द्वारा पूर्व कृत कर्मों की निर्जरा होती है और आत्मा विशुद्ध बनती है। सुश्रावक इंद्रचन्द ने अपने जीवन में कभी भी तेले (तीन दिन के उपवास) से अधिक की तपस्या नहीं की थी। लेकिन अभी वे मास खमण की तपस्या कर रहे हैं। आज उनके उपवास का 25 वां दिन है और वे द्रृढ़ निर्धार के साथ मास खमण की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उनका तन बल इतना नहीं है लेकिन उनका मनोबल बहुत ही ऊंचा है। वास्तव में मजबूत मनोबल वाला मनुष्य ही मास खमण जैसी कठोर तपस्या कर सकता है। श्री इंद्रचन्द जी को साध्वी श्री जी ने अंतर्मन के आशीर्वाद प्रदान किए।
” शासन श्री”साध्वी श्री रमावती जी ने कहा -तपस्या के द्वारा शरीर और आत्मा दोनों की विशुद्धि होती है। वर्तमान में तो विज्ञान भी तपस्या की शक्ति का स्वीकार कर रहा है। तप ज्योति है तो ज्वाला भी है।तप शरीर का दमन है तो कषाय का उपशमन भी है। तप के द्वारा इंद्रचन्द्र ने इंद्रिय विजय का मार्ग प्राप्त किया है। वे इस मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहें यही मंगल कामना है।
अणुव्रत विश्व भारती के गुजरात प्रभारी अर्जुन मेडतवाल,तेरापंथी सभा,पर्वत पाटिया के मंत्री प्रदीप गंग,उपाध्यक्ष संजय बोहरा,पूर्व मासखमण तपस्वी हेमराज छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्ष डॉ.रंजना कोठारी, तेरापंथी सभा के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानचंद कोठारी,तेयूप अध्यक्ष दिलीप चावत ने तप अनुमोदना की।
साध्वी श्री चैतन्य यशा जी एवं चारुप्रभा जी तथा साध्वी वृंद द्वारा तप अनुमोदना गीत का संगान किया गया। तेरापंथी सभा पर्वत पार्टिया द्वारा तपस्वी इंद्रचन्द को अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। मंगलाचरण महिला मंडल की बहनों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री मुक्ति श्री जी ने किया।
तेरापंथ भवन पर्वत पाटिया में मास खमण तपस्वी श्री इंद्रचन्द जी बोथरा का तप अभिनंदन किया गया
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