- आठ दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर का समापन
08.11.2023, बुधवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)। जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में आज आठ दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर का समापन हुआ। प्रेक्षा इंटरनेशनल के तत्वावधान में आयोजित इस शिविर में रशिया, यूक्रेन, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम आदि देशों से पहुँचे 45 से अधिक संभागियों ने ध्यान, योग के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर के अंतिम दिन इन शिविरार्थियों को ऐसा लग रहा था मानों ये शिविर इतनी जल्दी ही क्यों खत्म हो गया। अनुभव बताते हुए सबका यही कहना था की इस शिविर से उन्होंने अपने भीतर एक सकारात्मक बदलाव महसूस किया है और वें यहां से बहुत कुछ लेकर जा रहे हैं।
मुख्य प्रवचन देशना हुई जिसमें आचार्य श्री ने कहा – लोक में छह द्रव्य है। जैसे धर्मास्तिकाय, धर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय काल व पुदगलास्तिकाय। यह लोक षठ द्रव्यात्मक है व सब अपनी अपनी जगह स्थित है। क्षेत्र की दृष्टि से आकाश सबसे बड़ा है, जिसका न कहीं प्रारम्भ है और न कहीं अंत। आकाश अनंत है व मनुष्य की अनंत इच्छाओं को भी आकाश से उपमित किया जाता है। तत्त्व की अपेक्षा से जाने तो छह द्रव्यों में पांच अस्तिकाय व एक काल है। अस्तिकाय में चार अमूर्त व पुद्गलास्तिकाय मूर्त, चार निर्जीव व एक जीवास्तिकाय जीव होता है। आकाशास्तिकाय लोक में कम व बाहर में ज्यादा उपलब्ध है।
गुरुदेव ने आगे बताया कि जो हमारे लिए जो मुख्य चिंतनीय बिन्दु है कि आत्मा कर्मों से मुक्त कैसे बने। उसके लिए अपेक्षा है – संवर व निर्जरा की साधना की। संवर यानी कर्मों को रोकना व निर्जरा अर्थात कर्मों को क्षय करना। इनकी साधना से आत्मा निर्मल बन जाती है। संयम व तप की जितनी साधना करेंगे आत्मा उतनी ही निर्मल बनेगी। हमें अपनी चेतना को शुक्ल बनाना है। हमारी लेश्या भी शुक्ल बनें और ऐसी साधना करे की एक दिन हम अलेश्य बन जाएं।
प्रेक्षाध्यान शिविर समापन समारोह के अंतर्गत मुनि श्री कुमारश्रमण जी ने वक्तव्य प्रदान किया। भावाभिव्यक्ति के क्रम में रशिया (मॉस्को) तातियाना कुमारोवा ने हिंदी में गुरु भक्ति गीत का संगान किया। लॉरा लिसांते (मेक्सिको) ने अपने अनुभवों की प्रस्तुति दी। प्रेक्षा इंटरनेशनल के मंत्री श्री गौरव कोठारी ने भी अपने विचार रखे। व्यवस्था समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं ने गीत की प्रस्तुति दी।
दीपावली वृहद मंगलपाठ 12 को
दीपावली के अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के मुखारविंद से वृहद मंगलपाठ दिनांक 12 नवंबर 2023 को सायं 7 बजकर 51 मिनिट पर होगा।