- बल्लारी तेरापंथ भवन में संवत्सरी महापर्व की हुई विशेष आराधना
बल्लारी। युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी मुनि आदित्य कुमारजी ठाणा 2 के पावन सानिध्य में मारुति कॉलोनी तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व का सिरमौर माना जाने वाला संवत्सरी-क्षमापणा दिवस मनाया गया। डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने प्रवचन में क्षमापणा दिवस (संवत्सरी) का महत्व उजागर करते हुए कहा क्षमा धारण करना और क्षमा देना महान और भगवान बनने का उत्तम सूत्र हैं। जब व्यक्ति किसी को क्षमा (माफ) करता है तो मानो वह अपने भीतर भरे पड़े कचरे को साफ करने जैसा होता है। जिसके भीतर क्षमा का वास हो जाता है वह द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध,अहंकार आदि पापों व दुर्गुणों से मुक्त होकर निर्मल व पवित्र बन जाता है। इस तरह क्षमा को जीवन का आदर्श सूत्र बनाना चाहिए।
डॉ मुनिवर ने क्षमापणा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा क्षमा लेना व क्षमा करने का नाम ही क्षमापणा दिवस है। इसे सभी जैन समुदायों में उत्कृष्ट भावों के साथ मनाया जाता है। क्योंकि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने भी चंडकौशिक सांप ,संगम देवता, शुलपानी यक्ष, अर्जुनमाली, अज्ञानी ग्वाले आदि कितने ही जीवों को क्षमादान दिया था। क्षमा वहीं कर सकता है जो अहंकार रहित होता है। क्षमा वहीं कर सकता है जिसके भीतर करुणा, अहिंसा जैसे उत्तम गुण हो, मैत्रीपूर्ण व्यवहार हो तथा जो अनाग्रही वृत्ति वाला होता है। जैन संस्कृति में संवत्सरी को क्षमा पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। अतः क्षमा को जीवन में उतर कर क्षमादान देने का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें। मुनि आदित्य कुमारजी ने क्षमापणा दिवस पर गीतिका प्रस्तुत की।पिंकी नाहर, संगीता बेदमुथा ने 8 की तपस्या तथा विरेंद्र संचेती ने 11 की तपस्या का प्रत्याख्यान लिया।
मुनिवर के सानिध्य में पौषध की अच्छी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने आराधना की।गुनगुन बेदमुथा,कनिका नाहर, यश्वी भंसाली,श्रेया बाफना,कुशाल नाहर,पदम नाहटा,दर्शन चोपड़ा,पियांश नाहर,प्रज्वल नाहर,लिखित गोठी आदि 10 वर्ष से छोटे ज्ञानशाला के बच्चों ने मुनिवर से संवत्सरी महापर्व के उपलक्ष्य में उपवास का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमलचंद छाजेड़ महिला मंडल अध्यक्षा प्रवीणा लुणावत अणुव्रत समिति से बसंत छाजेड़ उपासिका सरोज खिमेसरा ज्ञानशाला परिवार से शर्मिला छाजेड़ तेयुप अध्यक्ष पंकज छाजेड़ सम्पतराज खिमेसरा ने उपस्थित सभी श्रावक श्राविकाओं से क्षमायाचना की।