- पर्युषण के उपरान्त पुनः आचार्यश्री ने प्रारम्भ की भगवती सूत्र की व्याख्या
- शांतिदूत की अमृतवाणी का श्रवण करने को लालायित रहते हैं श्रद्धालु
22.09.2023, शुक्रवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र) । पुर्यषण पर्वाधिराज के भव्य आराधन के बाद क्षमापना के साथ पूर्ण हुए आध्यात्मिक महापर्व के उपरान्त भी जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी नन्दनवन में निरंतर ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर रहे हैं। गुरुमुख से प्रस्फुरित होने वाली अमृतवाणी का रसपान करने के लिए श्रद्धालु भी लालायित नजर आते हैं। शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के प्रवचन पण्डाल में पधारने से पूर्व ही पण्डाल श्रद्धालुओं से भर जाता है।
शुक्रवार को तीर्थंकर समवसरण से तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्राधारित अपने पावन प्रवचन में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी सोता है तो कई स्वप्न भी आ जाते हैं। भगवती सूत्र में इस संदर्भ में प्रश्न किया गया कि स्वप्न आदमी कौन-सी अवस्था में देखता है? सुप्त अवस्था, जागृत अवस्था या सुप्त-जागृत अवस्था में? भगवान महावीर ने समाधान प्रदान करते हुए कहा कि आदमी सुप्त अवस्था में स्वप्न नहीं देखता, आदमी जागृत अवस्था में भी स्वप्न नहीं देखता, आदमी सुप्त जागृत अवस्था में स्वप्न देखता है। आदमी पूरी तरह जगा हो अथवा गाढ़ी निद्रा में हो तो स्वप्न नहीं देख सकता।
स्वप्नदर्शन के पांच प्रकार बताए गए हैं- यथा तथ्य, प्रतान, चिन्ता, तद्विपरीत तथा अव्यक्त दर्शन। प्रथम यथा तथ्य स्वप्न की कोटि वाले स्वप्न यथार्थ होता है। आदमी जो भी देखता है, उसे वह उस रूप में प्राप्त हो जाता है। दूसरा प्रतान स्वप्न बताया गया है। इसमें आदमी विस्तार से कोई स्वप्न देखता है। आदमी जो कार्य अथवा जो बातें दिन में भी देखता है, सुनता है, जानता भी है, वह भी सपने में दिखाई देता है। यह तीसरे प्रकार का स्वप्न चिंता स्वप्न होता है। चौथे प्रकार का स्वप्न तद्विपरीत स्वप्न होता है। इसमें जो आदमी देखता है, उसके विपरीत उसे फल प्राप्त होता है। कोई गंदी चीज देखे तो उसे अच्छा फल प्राप्त होता है। इस प्रकार यह स्वप्न का संसार है। स्वप्न कभी अच्छे, कभी बुरे, कभी गलत तो कभी यथार्थ भी हो सकते हैं। कई बार ऐसे बुरे और डरावने सपने भी आ जाते हैं। ऐसे में आदमी को बुरे सपनों से डरना नहीं चाहिए। कोई ऐसा स्वप्न आ भी जाए तो अपने आराध्य और भी विभिन्न मंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है, उनका आलम्बन लिया जा सकता है। स्वप्न आएं तो लोगस्स आदि का पाठ भी किया जा सकता है। आदमी को समता, शांति में रहते हुए स्वप्न आदि के प्रभाव से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को स्वप्नों की ज्यादा चिंता भी नहीं करनी चाहिए।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज डागा ने वर्ष 2023 के लिए युवा गौरव पुरस्कार के लिए श्री भरत मरलेचा, आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार के लिए श्री अजय भूतोड़िया व आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार डॉ. धवल दोशी के नामों की घोषणा की। चेंबुर के आमदार श्री प्रकाश वैकुंठ फातर्पेकर ने अपनी अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।