केसूर (एमपी)। पर्यूषण पर्व के चतुर्थ दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत प्रवक्ता उपासक पारसमल जी दुग्गड द्वारा की गई उन्होंने पर्यूषण पर्व पर प्रेरणा देते हुए कहा पर्यूषण पर्व सम्यक दर्शन का पर्व है और आध्यात्मिक विकास का सर्वोत्तम पर्व है कैसे हैं कौन सा मार्ग है उसके बारे में बताया।
उपासक जी ने बताया कि बताया कि भगवान महावीर से जब पूछा गया भंते कायोत्सर्ग करने से जीव को क्या प्राप्त होता है भगवान ने कहा व्यक्ति अतीत और वर्तमान के प्रायाशचितोचित कार्यों का विसोधन करता है । बाद में भगवान पारसनाथ के जीवन का वाचन किया और वाणी संयम पर अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कम बोले मधुर बोले बोलने से पहले सोचे इसी क्रम में सहयोगी उपासक रमेश जी सिंघवी ने मंगलाचरण में वाणी संयम दिवस पर गीतिका प्रस्तुत की।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा वाणी संयम मनुष्य जीवन का आभूषण है आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा बोलना एक कला है किंतु मौन रहना एक तप है उन्होंने कहा हमारे शरीर में दो कारखाने होने चाहिए पहले मुंह में शुगर मिल और दूसरा मस्तिष्क में आइस फैक्ट्री होनी चाहिए। वाणी में पत्थर का कारखाना नहीं होना चाहिए कहानी के माध्यम से वाणी संयम दिवस पर प्रकाश डाला प्रातः कालीन सेशन 6 से 7 बजे में प्रेक्षाध्यान योग आसन प्राणायाम में जबरदस्त उपस्थिति हो रही है वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल दुगड़ की ट्रेनिंग से लोग अच्छे प्रभावित हो रहे हैं। आज 70 की संख्या में भाई-बहन उपस्थित थे। कार्यक्रम में मालवा सभा के पूर्व उपा अध्यक्ष अशोक जी चौधरी तेरापंथ सभा केसूर अध्यक्ष संजय टेबा युवक परिषद अध्यक्ष दिनेश टेबा सभा मंत्री संजय बंबोरी आदि उपस्थित थे।
केसूर (एम पी) में वाणी संयम दिवस मनाया गया
Leave a comment
Leave a comment