मराठी फिल्मों की खासियत है कि उन्होंने आज भी अपनी जमीन नहीं छोड़ी है। यही कारण है कि हर फिल्म संदेश तो होता ही है, अदाकारी, अच्छी कहानी, पहनावा व लोकेशन का अच्छा समन्वय भी देखने को मिलता है।अतिरिक्त दिखावा न करते हुए भी मराठी फ़िल्में असली सिनेमा को जीवंत रखे हुए हैँ। फिल्म “तुझ्यात मी” इन्हीं में से एक है। शक्तिवीर धीरल, प्राजक्ता शिंदे, भारत गणेशपुरे अभिनीत फिल्म “तुझ्यात मी” जितनी अच्छी प्रेम कहानी है, इसका क्लाइमेक्स और भी बढ़िया बन पड़ा है। फिल्म में हीना पांचाल पर फिल्माया गया आइटम डांस भी काफी बेहतर है। पियूष अम्बाटकर एवं पी.एस. अम्बाटकर द्वारा निर्मित “तुझ्यात मी” का निर्देशन डॉ. शंकर चौधरी ने किया है।
कहानी: “तुझ्यात मी” एक सामान्य प्रेम कहानी है जिसमें एक सामान्य घर का लड़का अमर (शक्तिवीर धीरल) एक कॉलेज में पढ़ता है, उसे कबड्डी खेलने का शौक है। गांव में होने वाले कबड्डी टूर्नामेंट में वह सामने वाली टीम से हार जाता है, जिसके लिए उसे सभी चिढ़ाते हैँ। कॉलेज में उसकी मुलाक़ात उसी कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की रानी (प्राजक्ता शिंदे) से होती है। थोड़ी तकरार के बाद दोनों में दोस्ती हो जाती है और रानी अमर को अच्छी लगने लगती है। इसी बीच अमर एक दिन उसके गाँव जाता है तो रानी उससे मिलती है, पानी देती है। चाय बनाने घर में जाती है तभी उसका मामा (भारत गणेशपुरे) वहां आ जाता है। और अमर से पूछताछ करता है। जब उसे पता चलता है कि अमर एक सामान्य परिवार का लड़का है तो उसे अपमानित करता है। जो अमर को काफी खराब लगता है। वह बिना चाय पिये वहां से चला जाता है। रानी आकर देखती है तो पता चलता है कि वह तो चला गया और अपने मामा से पूछती है तो वह कहता है कि ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए। बाद में रानी अमर के घर जाकर अपने मामा के व्यवहार के लिए माफ़ी मांगती है। और फिर दोनों में बातचीत होने लगती है। उसी दौरान स्कूल में भी कबड्डी टूर्नामेंट घोषित हो जाता है। सबको लगता है कि वह हार जायेगा, चूँकि वह रानी के प्यार में पड़ा है, और खुद को साबित करना है, इसलिए कबड्डी जीतने के लिए खूब मेहनत करता है। अब आगे कहानी क्या क्या मोड़ लेती है? अमर कबड्डी टूर्नामेंट जीतता है कि नहीं, दोनों मिल पाते हैँ या नहीं, अपनी भांजी को खूब प्यार करने वाला मामा क्या करता है, यह सब जानने के लिए एक बार फिल्म “तुझ्यात मी” जरूर देखें। वैसे तो यह एक प्रेम कहानी है, लेकिन फिल्म का क्लाइमेक्स जबरदस्त है।
निर्देशन, अभिनय व संगीत: डॉ. शंकर चौधरी का निर्देशन सामान्य रहा है, फिल्म कहीं बोर नहीं करती। लोकेशन बढ़िया चुना है इसलिए फिल्म एकदम रियल स्टोरी लगती है। अभिनय की बात करें तो शक्तिवीर धीरल की एक्टिंग औसत रही है, प्राजक्ता शिंदे भी अच्छी लगी है। मामा के किरदार में भारत गणेशपुरे का अभिनय काफी प्रभावी रहा है जबकि बाकी कलाकार भी अपने किरदारों को अच्छे से प्ले किया है। फिल्म के आइटम सांग में हीना पांचाल काफी ग्लैमरस नज़र आयीं जबकि दो हास्य अभिनेताओं की एक्टिंग भी खूब गुदगुदाती है। गीत संगीत की बात करें तो मराठी फिल्मों में अभी भी संगीत काफी अच्छी भूमिका निभा रही है। सभी गाने ठीक हैं।
कुल मिलाकर “तुझ्यात मी” एक औसत फिल्म होते हुए भी देखने लायक़ फिल्म है। अच्छा मनोरंजन करती है। सुरभि सलोनी की तरफ से “तुझ्यात मी” को 3 स्टार।
– दिनेश कुमार (सुरभि सलोनी)