ठाणे। शासन श्री साध्वी श्री चंदन बालाजी साध्वी श्री राकेश कुमारी जी एवं साध्वी श्री मधुस्मिता जी के सानिध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी जन्मोत्सव , मंगल भावना और जैन विद्या प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
शासन श्री साध्वी श्री चंदनबाला जी द्वारा नवकार मंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। साध्वी श्री धृति प्रभा और चेतस्वी प्रभा जी द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ जन्मोत्सव कार्यक्रम का संचालन किया गया। कार्यक्रम को मंगलमय बनाने के लिए महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति की गई।
स्वागत सभा अध्यक्ष रमेश जी सोनी ने दिया व महाप्रज्ञ जी के द्वारा दिए गए अवदानों के बारे में बताया , उपासीका प्रतिभा चोपड़ा, सेंट्रल महिला मंडल संयोजिका प्रिया जी मुथा, ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका सुनीता जी बाफना ,प्रमिला जी सूर्या ,युवक परिषद के अध्यक्ष अविनाश जी गोगड़, मीना जी बाफना ,कोपरी महिला मंडल संयोजिका रंजना जी बाफना सभी ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के जन्मोत्सव पर अपने भावों की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की। साध्वी श्री राजश्री जी ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की और बताया कि किस तरह आचार्य श्री तुलसी द्वारा यह तराशा हुआ हीरा है आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ।आचार्य श्री तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ जी एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
साध्वी श्री वर्धमान श्री जी द्वारा आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी प्रज्ञा से पूरे संघ को प्रज्ञा वन करते थे किस तरह आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रदत अलंकरण है महाप्रज्ञ उनके बारे में बताया गया। साध्वी श्री जी ने महाप्रज्ञ जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में गीतिका की प्रस्तुति दी। तीनों सिंघाडो कि साध्वीयो द्वारा सामूहिक सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति। साध्वी श्री मधुस्मिता वाजी ने बताया कि किस तरह महाप्रज्ञ जी की तुलना विवेकानंद जी से की गई। कैसे महाप्रज्ञ जी ध्यान योग, भक्ति योग, कर्म योग के साधक थे उन्होंने बताया आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने 300 पुस्तकों की रचना की। साध्वी श्री राकेश कुमारी जी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति देते हुए फरमाया कि किस तरह महाप्रज्ञ जी तपती रेतीली भूमि पर अवतरित होकर अपनी प्रज्ञा से सब को आलोकित किया।
शासन श्री साध्वी श्री चंदनबाला जी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति में फरमाया कि कैसे महाप्रज्ञ जी बहुत ही सरल और मधुर स्वभावी थे और उन्होंने इस बात से भी सबको अवगत कराया कि महाप्रज्ञ जी को आचार्य श्री तुलसी ने किस तरह समझाया कि अभी बातें करोगे तो परतंत्र बनोगे और अध्ययन करोगे तो स्वतंत्र बनोगे। और यह भी बताया कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को घड़ी सबसे पसंदीदा चीज थी। साध्वी श्री चंदनबाला जी ने और साध्वी श्री जी ने उनके प्रवास में किस तरह श्रावक समाज का योगदान रहा और साध्वी वृंद के प्रति भी उन्होंने कृतज्ञता ज्ञापित की।
प्रतिभा जी चोपड़ा ने अपने व्यक्तित्व प्रस्तुत किया और संपूर्ण समाज की तरफ से और संपूर्ण श्रावक समाज ने सभी साध्वी श्रीजी से सामूहिक खमत खामना किया और उनके प्रति मंगल कामना प्रेषित की। कार्यक्रम के दूसरे सत्र का संचालन संगठन मंत्री कमलेश जी दुग्गड ने किया,सभा ट्रस्टि पारस जी बाफना, मंत्री नरेश जी बाफना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोहर जी कच्छारा, जितेन्द्र राठौड, कोषाध्यक्ष कमलेश चंडालिया,सह मंत्री राजेश जी बाफना, नवरतन जी गोखरू, राकेश दुग्गड, महेंद्र जी पुनमिया विनोद कोठारी ,अमृत श्री श्री माल, व अन्य श्रावक गणों की उपस्थिति रही तत्पश्चात जैन विद्या प्रमाण पत्र वितरण में केंद्र व्यवस्थापक भारती सिंघवी ने संचालन किया।
सह केंद्र व्यवस्थापक निशा भटेवरा नहीं प्रमाण पत्र वितरण किए। और सभी संस्था के पदाधिकारियों का संपूर्ण योगदान रहा।
ठाणे में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्मोत्सव मनाया गया
Leave a comment
Leave a comment