- दीक्षा अध्यात्म की उज्ज्वल गाथा मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साउथ कोलकाता। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में वृहत्तर कोलकाता स्तरीय दीक्षार्थी अभिनंदन एवं मंगलभावना समारोह का आयोजन कला मंदिर” में साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया । जिसमें दीक्षार्थी मुमुक्षु अंकिता चोरडिया, मुमुक्षु संजना पारख का अभिनंदन किया गया। समारोह में डा. मनीष बोरड़ (सी. ए, जज ITAT, , लेखा सदस्य आयकर अपीलीय अधिकरण ) मुख्य अतिथि तथा श्री सुकेश जैन (आई. पी. एस ) IG, TRAFFIC, पश्चिम बंगाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- आंखें तीन प्रकार की होती है. चमड़ की, बुद्धि की, हृदय की। जब चमड़े की आँख खुलती है तब उठना कहते हैं, जब बुद्धि की आँख खुलती है तब समझना कहते हैं और जब हृदय की आँख खुलती है तब उसे जगना कहते हैं। जगने का नाम है. दीक्षा । दीक्षा सहज नहीं कठिन कार्य है। दीक्षा का अर्थ है. इच्छा का निरोध करना। तेरापंथ में दीक्षा का अर्थ है, अहंकार और ममकार का विसर्जन! अहंकार है वहाँ विनाश है। जहाँ समर्पण है वहाँ विकास है। दीक्षा अनंत की यात्रा है, दीक्षा अध्यात्म की उज्ज्वल गाथा है। दीक्षा अदम्य आत्मबल का जीता जागता उदाहरण है। दीक्षा जब शिक्षा और परीक्षा पूर्वक होती है तब भिक्षा सफल होती है। मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने आगे कहा- वैराग्य के अनेक प्रकार है। जब वैराग्य मजीठ के रंग की तरह गहरा होता है तब व्यक्ति साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ता है। आचार्य श्री तुलसी ने समण दीक्षा की अभिनव शुरूआत की। मुमुक्षु अंकिता व मुमुक्षु संजना आचार्य श्री महाश्रमण जी के श्री चरणों में मुंबई मे समणी दीक्षा स्वीकार करने जा रही है। जो कोलकाता क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है। आपका वैराग्य विश्वास बनें, स्वाध्याय श्वस बनें, समता सुवास बने एवं गुरु आज्ञा जीवन का प्रकाश बनें। आपके आध्यात्मिक विकास के प्रति मंगल कामना।बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर मुमुक्षु अंकिता चौरड़िया ने सभी के स्नेह के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा- साधु बनना बहुत बड़ा लक्ष्य है। अर्थी उठने से पहले जीवन के अर्थ को समझने का प्रत्यन करें। कोलकाता वासियों ने मेरे जीवन में वैराग्य में मिठास घोली है।
मुमुसु संजना पारख ने विचार व्यक्त करते हुए कहा – दीक्षा की भावना उत्पन्न होने पर किसी को नहीं रोके। वाचिक हिंसा का त्याग करके व्यवहार में धर्म लाए मुमुक्षु प्रेरणा ने भी मंगल भावना प्रकट की। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि डा. मनीष बोरड ने विचार व्यक्त करते हुए कहा समणी दीक्षा की शुरूआत आचार्य श्री तुलसी ने की थी। समणी वर्ग देश-विदेशों में जैन धर्म का प्रचार करता है। दीक्षार्थी बहनों ने बड़ा निश्चय किया है संयम पथ पर आगे बढ़ने का। उनके प्रति मंगलभावना व्यक्त करता हूँ।विशिष्ट अतिथि – सुकेश जैन ने अपने विचार – व्यक्त करते हुए कहा संयम पथ पर बढ़ना बड़ी बात है। दीक्षार्थी – बहनें संभल-संभल कर कदम बढ़ाना।आपके संयम जीवन के प्रति मंगलकामना।
इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के मुख्यन्यासी सुरेश जी गोयल, कोलकाता सभा के अध्यक्ष अजय जी भंसाली, साउथ कलकत्ता सभा के अध्यक्ष विनोद जी चोरडिया, साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा, संजय पारख, साउथ कलकता ते.यु.प. अध्यक्ष राकेश नाहटा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के साउथ कोलकाता के अध्यक्ष आलोक चौपड़ा, तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री बबीता भूतोड़िया ने मंगलभावना में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल साउथ कोलकाता के
मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल साउथ हावडा व चोरड़िया परिवार ने मंगलभावना गीत प्रस्तुत किया। अतिथियों व दीक्षार्थी बहनों का परिचय सभा मंत्री’ कमल जी सेठिया ने दिया। आभार ज्ञापन सहमंत्री कमल जी कोचर ने किया। अतिथियों व दीक्षार्थियों का सभा द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यक्रम से पूर्व दीक्षार्थियों की शोभायात्रा का भव्य आयोजन किया गया।