– महाराष्ट्र की धरा पर गतिमान ज्योतिचरण पहुंचे पारगांव
– आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को कराया प्रेक्षाध्यान का प्रयोग
05.06.2023, सोमवार, पारगांव, पालघर (महाराष्ट्र) । वर्ष 2023 के चतुर्मास के लिए मुम्बई की ओर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए महाराष्ट्र के पालघर जिले में गतिमान हैं। सोमवार को प्रातःकाल आचार्यश्री सफाले से गतिमान हुए। आचार्यश्री का आज का विहार मार्ग पूरी तरह पहाड़ी था। आरोह-अवरोह से युक्त यह मार्ग वृक्षों की सघनता के कारण सुरम्य बना हुआ था। ऐसे प्राकृतिक आभा से सम्पन्न मार्ग पर अध्यात्म के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी लगभग साढे आठ किलोमीटर का विहार कर पारगांव में स्थित जिला परिषद केन्द्रशाला में पधारे। जहां गांव के सरपंच आदि लोगों ने आचार्यश्री की भावभीनी अगवानी की।
केन्द्रशाला में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले समता के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी झूठ बोलता है। उसके पीछे कारण क्या हो सकता है, इस पर मीमांसा की जा सकती है। इसके दो कारण बताए गए-आत्मार्थ अथवा परार्थ। आदमी अपने स्वयं के हित के लिए झूठ बोलता है अथवा दूसरों के बचाव के लिए झूठ बोलता है। या तो आदमी खुद के लिए झूठ बोलता है और अथवा दूसरों के लिए झूठ बोलता है। आदमी के झूठ बोलने के भावात्मक कारणों पर विचार किया जाए तो आदमी या तो गुस्से के भाव में झूठ बोलता है अथवा भय का भाव होता है तो आदमी झूठ बोल जाता है। गुस्सा और भय – ये दोनों झूठ बोलने के भावात्मक कारण हैं। इसके अलावा लोभ और हंसी-मजाक भी झूठ बोलने का कारण हो सकता है।
आदमी जब क्रोध में होता है तो झूठ बोल देता है अथवा जब वह भयभीत होता है तो वह झूठ का प्रयोग करता है। झूठ बोलना एक प्रवृत्ति होती है, किन्तु इसके पृष्ठभूमि में आदमी की वृत्ति होती है। इसलिए प्रवृत्ति को मिटाने के लिए वृत्ति रूपी कारण को मिटाने का प्रयास होना चाहिए। आदमी को कारण के मूल जाकर कारण को मिटा दिया जाए तो वह कार्य होगा ही नहीं। अनेक संदर्भ में आदमी कार्य और कारण पर ध्यान दिया जा सकता है। जिस प्रकार किसी रोग के निदान के लिए डॉक्टर कारण अथवा निदान को करने से पहले आधुनिक मशीनों से परीक्षण कराना होता है। झूठ रूपी प्रवृत्ति से बचने के लिए आदमी को वृत्ति के कारणों को मिटाना होगा। प्रेक्षाध्यान के द्वारा राग-द्वेष के भावों को दूर कर झूठ बोलने की प्रवृत्ति से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और सत्य की साधना की जा सकती है। अध्यात्म की साधना के द्वारा आदमी अपनी चेतना का ऊर्ध्वारोहण कर सकता है। आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को कुछ देर प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया।
प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री पारसमल दूगड़ व स्थानीय सरपंच श्री अंकुश झाबर ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। प्रेक्षा प्रशिक्षिकाओं ने आचार्यश्री के स्वागत में गीत का संगान किया।