दमनगंगा के तट पर बसे वापी में ज्ञानगंगा प्रवाहित करने पहुंचे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

  • 12 कि.मी. का विहार कर महातपस्वी ने वापी में किया मंगल प्रवेश
  • अरब सागर के निकट भव्य स्वागत जुलूस में उमड़ा श्रद्धा का ज्वार
  • जैसी करनी, वैसी भरनी : अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमण

21.05.2023, रविवार, वापी, वलसाड (गुजरात)। भारत के पश्चिम भाग के स्थित अरब सागर के निकट रूप में गुजरात की धरा को पावन बनाने वाले, जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान करने वाले, जनमानस को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अणुव्रत यात्रा के साथ दमनगंगा नदी के पट पर बसे वलसाड जिले के वापी नगर में पधारे तो मानों अरब सागर के तट से कुछ दूरी पर स्थित इस नगर में श्रद्धा का ज्वार उमड़ आया। वापी की सड़कें ज्ञानगंगा के संवाहक महातपस्वी के स्वागत में श्रद्धा के ज्वार से आप्लावित हो गई। बुलंद जयघोष श्रद्धालुओं के आंतरिक उल्लास और उमंग और उत्साह को दर्शा रहे थे। गर्मी से तरबतर होने के बाद भी अपने आराध्य के स्वागत को जन-जन आतुर दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा मानों आध्यात्मिक गुरु की ऊर्जा से समूची जनता इतनी ऊर्जावान बनी हुई थी कि उसे सूर्य की प्रखर तपन को कोई अहसास ही नहीं हो रहा था। दो दशकों के बाद अपने आराध्य को अपने नगर में पाकर न केवल तेरापंथी जनता, अपितु वापी का सकल समाज जनकल्याण करने वाले महातपस्वी के दर्शन और स्वागत को आतुर था। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ वापी में स्थित श्री कृष्णा इण्टरनेशनल स्कूल में पधारे।
इसके पूर्व रविवार को प्रातः अम्भेटी स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से प्रातः की मंगल बेला में महातपस्वी महाश्रमण ने मंगल प्रस्थान किया। संकरे किन्तु वृक्षों, नदियों के जलप्रवाहों से सुरम्य मार्ग से होते हुए आचार्यश्री जैसे-जैसे वापी के निकट होते जा रहे थे, श्रद्धालुओं की संख्या ही नहीं, उनका उत्साह व उल्लास भी बढ़ता जा रहा था। दो दशक से अधिक समय बाद मानवता के मसीहा के मंगल पदार्पण से जनता उल्लसित थी। लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री वापी में पधारे।
श्री कृष्ण इण्टरनेशनल स्कूल के प्रांगण मंे ही बने महाश्रमण समवसरण में उपस्थित जनता को आचार्यश्री ने ज्ञानगंगा के माध्यम से अभिसिंचन प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में अनेक धर्म-संप्रदाय हैं तो उनके अपने-अपने दर्शन भी हैं। अनेक दर्शनों और धर्मों की बातों में समानता भी हो सकती है। जैन दर्शन में एक सिद्धांत है-कर्मवाद। प्राणी जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है। जैसी करनी, वैसी भरनी के आधार पर कर्मफल की प्राप्त होती है। उस न्यायालय किसी का झूठ नहीं चल सकता। जैन दर्शन में कर्मवाद के आधार पर आठ कर्म बताए हैं। इन कर्मों के आधार पर किसी के व्यक्तित्व का वर्णन किया जा सकता है। कोई बालक अथवा आदमी कुशाग्र होता है, बहुत अल्प समय में ज्यादा सीख लेता है, समझ लेता है, ज्ञान का अच्छा विकास कर लेता है, उस बालक अथवा आदमी के ज्ञानावरणीय कर्म का अच्छा क्षयोपशम है। कोई मंदबुद्धि है तो उसके ज्ञानावरणीय कर्म का सघन उदय है। इसी प्रकार किसी की अत्यधिक ख्याति, उपलब्धि, शारीरिक सुन्दरता, बलिष्ट अथवा कमजोर सब कर्मों के उदय और क्षयोपशम के माध्यम से प्राप्त होता है। इसलिए आदमी को कर्मवाद को जानकर सत्कर्मों में समय लगाने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने जीवन में पाप आचरण से बचने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, प्रमाणिकता रहे। दुकान, व्यापार में ईमानदारी की देवी प्रतिष्ठित रहें। पुनीत परोपकार के सत्कर्मों के माध्यम से आदमी अपने वर्तमान जीवन के साथ-साथ परलोक को भी अच्छा बना सकता है।
आचार्यश्री ने वापीवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज साधिक दो दशकों बाद वापी आए हैं। पहले परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के साथ आना हुआ था और आज अब स्वतंत्र रूप में आना हुआ है। यहां की जनता में खूब धार्मिकता-आध्यात्मिकता का विकास होता रहे।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री महेन्द्र मेहता, वापी व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री रमेश कोठारी, आचार्यश्री की संसारपक्षीया बहन रत्नीबाई, संसारपक्षीय भाई श्री श्रीचंद दूगड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दीं तेरापंथ महिला मण्डल व दूगड़ परिवार की महिलाओं ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।
वापी नगरपालिका की अध्यक्ष श्रीमती कश्मीरा शाह ने आचार्यश्री के दर्शन के उपरान्त स्वागत करते हुए कहा कि मैं महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपने शहर में पदार्पण पर हार्दिक स्वागत करती हूं। आपश्री की प्रेरणा हम सभी का जीवन अच्छा हो, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें।

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