कांदिवली (मुंबई)। युगप्रधान प.पु.आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वीश्री विद्यावती की सहवृति साध्वी श्री प्रियंवदाजी एवं साध्वी श्री प्रज्ञाश्रीजी एवं सहवर्ती साध्वीवृंद दिनांक 24-4-23 को वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल विमलाजी दुगड द्वारा संचालित प्रेक्षाध्यान योग साधना केंद्र आकुर्ली माता मंदिर कांदिवली पुर्व में पधारें।
केंद्र का अवलोकन किया साध्वी श्री प्रियंवदा जी ने अपने वक्तव्य में कहां प्रेक्षाध्यान की साधना अपने आपको देखने की साधना है, अपने-आपमें रमण करने की साधना है, अपने दुर्गुणों को छोड़ने की साधना है अपने भीतर राग द्वेष से मुक्त होने की सबसे बड़ी साधना है जब तक अपना मन स्थिर नहीं होता है, तब तक अपना मन शांत नहीं होता है, तब तक आप को जो ध्यान का प्रतिफल मिलना चाहिए वह नहीं मिल सकता । हम शांति और आनंद पाने के लिए बाहर घूमते फिरते हैं लेकिन असली आनंद तो आपके अपने भीतर ही है । शांति अपने भीतर ही मिलेगी आपके भीतर जो क्रोध है उसको क्षमा में परिवर्तन कर दीजिए तो आप महावीर बन सकते हैं आपके भीतर जो उच्छृखलता है बाहरी चकाचौंध का जो आकर्षण है उसको खत्म कर दीजिए प्रेम की धारा बहा दीजिए तो आप भगवान बुध बन सकते है ,आप मर्यादा में चलना सीख ले आप हर कार्य की मर्यादा कर देंगे तो आप मर्यादा पुरुषोत्तम राम बन सकते हैं। यह जरूरी है यदि आपको महावीर बनना है , आपको बुद्ध बनना है मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनना है तो अपनी शक्ति को जागृत करें। पारसमलजी और विमला बाई बहुत मेहनत कर रहे हैं बहुत श्रम कर रहे हैं । आप बहुत श्रम लगाते हैं मेहनत करते हैं ।आप दोनों के लिए कहना चाहूंगी आप इस सेन्टर को और आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहें।
आचार्य श्री अब मुम्बई में पधार रहे हैं आपके सेंटर में संख्या दोगुनी होनी चाहिए । साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ने प्रेक्षाध्यान पर प्रेरणादायक प्रवचन देते हुए कहा पारसजी एवं विमलाजी दुगड दोनों निःस्वार्थ भाव से प्रेक्षा ध्यान केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, केवल सेंटर में ही नहीं इंडिया में कई स्थानों पर इनके द्वारा सैकड़ों शिविरों के माध्यम से अनेकों अनेकों लोग लाभान्वित हो चुके हैं। प्रेक्षाध्यान की जो प्रक्रिया है वह जीवन की मूल प्रक्रिया है हम देख रहे हैं भौतिक युग में वैज्ञानिक युग में व्यक्ति मूल को छोड़कर पत्तों व डालियों का सिंचन कर रहा है जिससे पेड़ सूखता जा रहा है ।प्रेक्षाध्यान की प्रक्रिया को अपनाकर व्यक्ति मूल को भीतर की शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करें इसके साथ-साथ अनंत जन्मों से अनुबंधित जो हमारे कर्म है उन कर्मों की निर्जरा ध्यान से कर सकते हैं,ध्यान से अनंत कर्मों की निर्जरा होती है क्योंकि हमारी आत्मा उज्जवल है अनंत शक्ति संपन्न है लेकिन इसके ऊपर जो आवरण आया हुआ है वह जब तक नहीं हटता है तब तक व्यक्ति शक्तियों को प्राप्त नहीं कर सकता अनंत शक्ति को जागृत करने के लिए प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग अच्छा है। हम सौभाग्यशाली हैं हमें ध्यान की प्रक्रिया गुरु के द्वारा मिली है इस केंद्र में आने से पता चलता है यह स्थान कितना ऊर्जावान है, पवित्र है, पावन है यहां साधक अपनी साधना में आगे बढ़ रहे हैं बाहर बहुत हलचल है भीतर भी हलचल है भीतर की हलचल को कैसे कम करें व्यक्ति अपने आपको भूल रहा है कहां भटक रहा है प्रेक्षा ध्यान के द्वारा एकाग्र होकर स्वयं को अपने निकट ले जाती है जिस तरह रोटी से भूख मिटाई जाती है वैसे ही ध्यान के द्वारा शांति को प्राप्त किया जाता है पारसजी ने बहुत ही परोपकारी कार्य हाथ में लिया है इस कार्य से कई लोगों को जनता का उपकार हो रहा है यह काम कर रहे हैं तो धर्मसंघ की प्रभावना हो रही है इसलिए गुरुदेव की कृपा भी आपको बहुत मिल रही है। गुरु की कृपा के बिना कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता पारसजी के ऊपर गुरु की इतनी कृपा है।
आपने विमला जी को भी तैयार कर लिया उनको ना केवल हाउसवाइफ तक रखा है उनको भी आगे लाकर आपने बहुत बड़ा काम किया है विमलाजी का अच्छा विकास हुआ है । बड़े गर्व की गर्व की अनुभूति होती है विमलाजी और पारसजी दोनों साथ मिलकर एक बड़ा कार्य कर रहे हैं सबसे बड़ी बात यह कि निरंतरता चाहे कोई भी हो इतने निरंतरता रखना बड़ा मुश्किल है जब से आप ने केंद्र प्रारम्भ किया है तब से लेकर अब तक एक भी दिन अवकाश नहीं रखा बंद नहीं रखा 2014 में इस केंद्र में आकर गए थे यह 1 दिन के लिए भी बंद नहीं हुआ बहुत बड़ी बात है विकास का जरिया निरंतरता ही है ।जितनी निरंतरता ज्यादा चलेगी उतना ही विकास होगा गुरुदेव जैसे फरमाते हैं काम शुरू किया बीच में बंद कर दिया वो शुरू किया वहीं पर रह गया । आप इस नए सिरे से शुरू करो इससे विकास नहीं हो सकता। निरंतरता ही तो इनको इतना आगे बढ़ा रही है निरंतरता के साथ विकास करते रहें । गुरुदेव पधार रहे हैं गुरुदेव का पावन सानिध्य भी आपको मिलेगा। जब आप युवाचार्य थे तब यहां पर पधारे हुए हैं ।अब उनके पावन चरणों से यह केन्द्र और पवित्र बनेगा । साध्वी श्री के प्रेरणादायक उद्बोधन ने सभी साधक साधिकाओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कुछ साधिकाओं ने प्रेक्षाध्यान साधना के अनुभव भी सुनाएं। पुरे समाज एवं प्रेक्षा साधको की अच्छी उपस्थिति रही ! ABTYP JTN मुंबई सें विकास धाकड़ ।
कांदिवली में प्रेक्षाध्यान योग साधना शिविर का आयोजन
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