मुंबई। आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री डॉ पियुषप्रभाजी एवं साध्वीवृन्द कानपुर से ठाणे,1300 किलोमिटर की सुदीर्घ यात्रा 5 महीने और 13 दिन का लम्बा विहार कर आज ठाणे भवन पधारे।अत्र विराजित शासनश्री साध्वीश्री चन्दनबालजी एवं साध्वीश्री राकेश कुमारीजीने साध्वीवृन्द का बड़े आत्मीयभावसे स्वागत किया।नारो की गूंज के साथ भवन में प्रवेश और मधुर, भावपूर्ण गीतिका से साध्वीवृन्द ने आगंतुक साध्वियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम प्रारम्भ में ठाणे सभाध्यक्ष श्रीमान रमेश सोनी ने स्वागत किया।मधुर गीतिका महिला मंडल ने प्रस्तुत की।
अनुभवी,वयोवृद्ध शासनश्री साध्वीश्री चन्दनबालजी ने अपने अनुभवों के पिटारे से आगंतुक साध्वियों से जुड़े कई संस्मरण बताये।
साध्वीश्री राकेशकुमारीजी ने फरमाया की डॉ साध्वीश्री पियुषप्रभाजी सद्गुणी,विनम्र और व्यवहारकुशल है।आचार,विचार,मर्यादा,संगठन,एकता ये सभी तेरापंथ धर्मसंघ के मूलाधार है। तेरापंथ समाज ठाणे की भूरी भूरी प्रशंसा की।यहाँ के चारो क्षेत्र आधारस्तम्भ है। साध्वीश्री वर्धमानश्रीजी एवं साध्वीवृन्द ने स्वरों और सुरो से स्वागत किया। साध्वीश्री डॉ पियुषप्रभाजी ने फरमाया की बड़ो की सन्निधि वर्षो के बाद प्राप्त हुई है और लंबे अंतराल के पश्च्यात गुरुदेव के दर्शन प्राप्त होंगे यह भी दिवास्वप्न की पूर्ति के संकेत है। साध्वीश्री दिप्तीयशाजी ने कहा कि महासमुद्र में मिलने से पहले ठाणे भवन में सरिताओं का संगम हो रहा है।
ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओ ने सुंदर स्वागत गीत प्रेषित किया।स्वागत के स्वर तेयुप ठाणे सिटी अध्यक्ष अविनाशजी गोगड़,ठाणे सेंट्रल संयोजिका प्रिया मुत्था,रश्मि कोठारी,एवं पृथक विहार सेवा के संयोजक विमलजी सोनी ने प्रेषित किये। अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।कुशल संचालन ठाणे सिटी अध्यक्षा अनिता धारीवाल ने किया।
ठाणे में तीन सरिताओं का आध्यात्मिक मिलन का आयोजन
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