मुंबई। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी आदि ठाणा -६ के पावन सान्निध्य में ” बैंगनी –उत्कर्ष” पर विशेष कार्यशाला सफलता से संपन्न हुई ।
तेरापंथ भवन में आयोजित इस कार्यशाला में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी ने कहा– आचार्य भिक्षु ने धर्म और आचार की बुनियाद पर धर्मक्रांति की ।आचार्य भिक्षु का विचार दर्शन शाश्वत सत्य की अनुभूति हैं। आचार्य भिक्षु ने साध्य — साधन के साथ तादात्म्य की चर्चा की। उन्होंने मिश्र धर्म की मान्यता को नकार दिया।
मुख्य प्रशिक्षक *डॉ. साध्वी योगक्षेम प्रभाजी ने अपने विशेष वक्तव्य में ” भिक्षु विचार दर्शन” ग्रंथ पर आधारित धर्म के विविध पहलु पर विशद विवेचन किया। आचार्य भिक्षु के गहन दर्शन की रोचक प्रस्तुति से साध्वीश्री ने सबको भावविभोर कर दिया ।
कार्यशाला का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ जिसे श्रीमती मीना साबत्रा व चंदा बडौला ने प्रस्तुत किया।सभाध्यक्ष कांतिलाल कोठारी ने सबका स्वागत किया। आभार ज्ञापन श्रीमती प्रेमलता सिसोदिया ने किया। मंच संचालन वरिष्ठ कार्यकर्ता दिनेश सुतरिया ने कुशलतापूर्वक किया।
शाश्वत सत्य की अनुभूति हैं भिक्षु विचार दर्शन: साध्वी निर्वाणश्री
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