– लगभग 15 कि.मी. का किया विहार, पूरा गांव बना महाश्रमणमय
– गुरुकृपा पाकर निहाल हुए छोटी खाटूवासी, अपने आराध्य का किया भव्य अभिनन्दन
– ईमानदारी है सर्वोत्तम नीति : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
17.11.2022, गुरुवार, छोटी खाटू, नागौर (राजस्थान)।मानवता का कल्याण करने को गतिमान मानवता के मसीहा, तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने श्रद्धालुओं पर कृपा बरसाते हुए निर्धारित समय से एक दिन पूर्व ही प्रलम्ब विहार करते हुए छोटी खाटू में पधारे तो अपने आराध्य से ऐसी कृपा प्राप्त कर श्रद्धालु निहाल हो उठे।
बुधवार को छोटी खाटूवासियों की श्रद्धाभावों को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बुधवार को सान्ध्यकालीन विहार किया। तदुपरान्त गुरुवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में छोटी खाटू के लिए मंगल प्रस्थान किया। अपने आराध्य की कृपा पाकर आह्लादित छोटी वासी सैंकड़ों श्रद्धालु अपने आराध्य की मंगल सन्निधि में विहार से पूर्व ही पहुंच गए थे। आचार्यश्री जैसे-जैसे छोटी खाटू के निकट होते जा रहे थे, श्रद्धालुओं का हुजूम बढ़ता जा रहा था। मार्ग में जगह-जगह खड़े ग्रामीणों पर आशीषवृष्टि करते तो कहीं चरण थामकर पावन प्रेरणा प्रदान करते आचार्यश्री निरंतर गतिमान थे। मार्ग में कई ग्रामीण श्रद्धा के साथ आचार्यश्री को समर्पित करने के लिए कुछ फल आदि लेकर आए थे तो कोई श्रद्धा से सराबोर हो साष्टांग वंदन कर रहा था। कहीं उपस्थित बच्चों पर कहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों की भावनाओं को स्वीकार कर उन्हें मंगल पाथेय प्रदान करते-करते आचार्यश्री जैसे ही छोटी खाटू गांव निकट पधारे श्रद्धालुओं की आस्था, भक्ति से ओतप्रोत उत्साह चरम पर पहुंचा। बुलंद जयघोष के बीच भव्य स्वागत जुलूस का क्रम प्रारम्भ हो गया। गांव में जगह-जगह बच्चों द्वारा बनाई गई झांकियां लोगों को आकर्षित कर रही थीं। गांव की सारी गलियां और मार्ग मानों महाश्रमणमय बने हुए थे। जयघोष वातावरण गुंजायमान हो रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री छोटी खाटू में दोदिवसीय प्रवास हेतु तेरापंथी सभा भवन में पधारे।
प्रलम्ब विहार और श्रद्धालुओं पर कृपा बरसाने में दोपहर का समय हो गया था। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखाजी ने छोटी खाटूवासियों को उद्बोधित किया। तत्पश्चात् आचार्यश्री ने उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में ईमानदारी का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। लेन-देन, व्यापार-धंधा आदि किसी भी उपक्रम में ईमानदारी घनीभूत होती है तो कार्य नैतिकतामय हो जाता है। ईमानदारी के दो अंग चोरी नहीं करना और झूठ नहीं बोलना है। ईमानदारी को सर्वोत्तम नीति भी कहा गया है। जीवन में ईमानदारी रहे तो जीवन अच्छा हो सकता है। ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए परेशानियां तो आ सकती हैं, किन्तु पराजय नहीं हो सकता, सच्चाई की ही विजय होती है। ईमानदारी को पुष्ट बनाने के लिए चोरी और झूठ से बचने का प्रयास करना चाहिए। गलत कार्यों के प्रति घृणा और डर रखने का प्रयास करना चाहिए।
आज छोटी खाटू में आना हुआ है। यहां हमारे पूर्वाचार्यों का भी पदार्पण होता रहा है। यहां के लोगों में धर्म-अध्यात्म के संस्कार बने रहें। बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाते रहें। खूब धर्मोद्योत होता रहे, यहां की जनता में धार्मिक भावना बनी रहे।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने अपने गांव में अपने आराध्य के आगमन पर अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया।