पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘नीच’ के बयान पर बिहार में मचे सियासी हलचल के बीच आखिर उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि मैंने क्या कहा और क्या अर्थ निकाला गया। सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि ये मामला टीवी वालों द्वारा ज्यादा-प्रचारित किया गया।
नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने किसी पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि एक निजी चैनल की तरफ से उन्हें विकास पर चर्चा के लिए बुलाया गया था और साथ ही कार्यक्रम में किसी भी राजनीतिक चर्चा को शामिल नहीं किए जाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर पूछे गए सवाल पर मैंने बसे इतना कहा था कि बात को इतना नीचे मत ले जाइए।
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा को ये शब्द इतना नागवार गुजरा है कि नीच शब्द को लेकर बिहार से लेकर केंद्र तक इस एक शब्द को लेकर सियासत तेज है। कुशवाहा ने इस शब्द को राजनीतिक रंग देकर सीएम नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और लगातार उनसे माफी मांगने और सफाई देने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले, 10 नवंब को कुशवाहा समाज के लोग नीतीश कुमार द्वारा उपेंद्र कुशवाहा को नीच कहे जाने से नाराज हो गए थे। इसके बाद उन्होंने पटना के गांधी मैदान से राजभवन तक मार्च निकाला। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन भी किया गया।
प्रदर्शन के दौरान कुशवाह समाज के लोगों और पुलिस कर्मियों में कहासुनी हो गई। जिसके बाद पुलिस ने उनपर लाठी चार्ज कर दी। इसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
इसके बाद कुशवाहा ने ट्वीट करके कहा था कि कुशवाहा समाज पर लाठी चलवाने के बजाय आप अपने बयान बयान का अर्थ लोगों को सार्वजनिक रूप से समझा देते तो बड़ी कृपा होती। साथ ही कहा कि शायद लोगों का गुस्सा शांत हो जाता और आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ती।
वहीं दूसरे ट्वीट में लिखा उन्होंने लिखा था कि मुख्यमंत्री जी राजभवन की तरफ शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर रहे लोगों को अगर संभाल पाना मुश्किल था तो भीड़ को तीतर-बितर करने के कई अन्य तरीके भी थे। लाठी-डंडों से पिटवाकर निर्दोषों का खून बहाना व महिलाओं पर लाठी चलवाना कहां का न्याय है।