- बच्चे परिवार की अनमोल धरोहर: मुनि रमेश कुमार
टिटिलागढ (ओडिशा)। तेरापंथ युवक परिषद टिटिलागढ के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में संस्कार निर्माण और स्मृति विकास कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। इस कार्यशाला में लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया। प्रेक्षा प्रशिक्षक, उपासक सुरेन्द्र जी सेठिया ने बच्चों को प्रशिक्षण दिया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा- जीवन में संस्कार का सर्वोच्च मूल्य है। संस्कारी बालक सबको अच्छा लगता है। आज शिक्षा के साथ संस्कारों का निर्माण बहुत जरुरी है। संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है। संस्कार के माध्यम से चरित्र का निर्माण संभव है। आपके संस्कार बताते हैं कि आपकी परवरिश कैसे हुई है। आपकी परवरिश बताती है कि आपका परिवार कैसा है। बच्चे को जैसा वातावरण मिलता है वह वैसा ही बन जाता है। इसलिए अभिभावकों सदा सजग रहना चाहिए की बच्चें परिवार की अनमोल धरोहर है। इन्हें अच्छी शिक्षा से पहले अच्छे संस्कार दिये जाये। तभी समाज व देश में चारित्रिक मूल्यों का विकास संभव है।
मुनि रमेश कुमार ने स्मृति विकास के बारे में बताते हुए कहा – हमारा मस्तिष्क विशाल पुस्तकालय जैसा है। जिसमें लाखों पुस्तकें है परन्तु सूची नहीं है। एक ऐसे पुस्तकालय से मन पसंद पुस्तक खोजनी हो तो एक ही तरीका है एक एक कर खोजा जाये। खोजने में असफल हो जाते है तो की वह पुस्तक लाइब्रेरी में नहीं है। परन्तु सच्चाई ये है की आप खोजने में असफल रहे। स्मृति विकास के लिए हम अपने मस्तिष्क को व्यवस्थित लाइब्रेरी के समान बनायें। आवश्यक हर विषय वस्तु को अच्छी तरह से सेव करे। आपने आगे कहा- याद करने की तीन प्रक्रिया है। 1- आंख के मस्तिष्क से याद रखने वाले। 2- कान के मस्तिष्क से याद रखने वाले। 3- मांसपेशियों के मस्तिष्क से याद रखने वाले। इन तीनों को विस्तार से समझाया।
मुनि रत्न कुमार ने कहा – बच्चे के संस्कार निर्माण में प्रथम गुरु माता है । मां से बालक बहुत कुछ ग्रहण करता है । फिर अध्यापक से बहुत कुछ संस्कार निर्माण की दृष्टि से ग्रहण करता है। प्राचीन भारत के संस्कार को हम भूले नहीं। संस्कारों से ही हमारा समाज और देश सशक्त बनता है।
प्रेक्षा प्रशिक्षक सुरेन्द्र जी सेठिया ने प्रेक्षा प्रशिक्षण देते हुए बताया कि वर्तमान में संस्कार निर्माण पर ध्यान देना बहुत जरुरी है। कार में जैसे ब्रेक का मूल्य है वैसे ही जीवन में संस्कारों का। बिना ब्रेक की कार बेकार है वैसे ही संस्कारों के बिना जीवन बेकार है।
मुनि रमेश कुमार व प्रेक्षा प्रशिक्षक सुरेन्द्र जी सेठिया ने बच्चों को एकाग्रता विकास के लिए, स्मृति विकास के लिए अनेक प्रयोग भी इस अवसर पर कराये।
इससे पूर्व मुनि रमेश कुमार के महामंत्रोच्चारण से कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कन्या मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। बच्चों ने अपने अनुभव बताये। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के उपाध्यक्ष श्री रुप चंद जैन ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने मे तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन मंत्री भावना जैन , मनीषा जैन, संतोषी जैन, ललिता जैन एवं तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष संजय जैन , ज्योति प्रकाश जैन,प्रवीण जैन तथा देवेन्द्र कुमार जैन आदि का सहयोग रहा।तेरापंथ सभा की सभी व्यवस्थायें सराहनीय थी । बच्चों को रोचक ब्रेन टेस्ट प्रतियोगिता भी कराई गई।