भायंदर। आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘द्वितीय’ के सान्निध्य में पर्युषण का सातवां दिवस ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। प्रेक्षाध्यान प्रकोष्ठ की सदस्या श्रीमती संगीता हींगड ने ध्यान का प्रयोग करवाया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष भगवतीलालजी भंडारी ने एवं अरविंदजी हिंगड ने विचार व्यक्त किये। दर्शनाथ ग्रुप द्रारा तपस्या की गितिका पस्तुत की गई तेरापंथ महिला मंडल की सह संयोजिका उर्मिला हिंगड एवं रेखा लुणीया ने संगीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला परिवार ने ज्ञानार्थी धृति मरलेचा के प्रति मंगलकामना प्रकट की ।
साध्वी श्री विद्यावतीजी ने भगवान महावीर के पूर्व भवों के वर्णन को समेटते हुए सत्ताईसवें भव का सुंदर चित्रण प्रारंभ किया। साध्वी श्री जी ने कहा- बंधे हुए कर्मों को भोगे बिना जन्म मरण से छुटकारा हो नहीं सकता। अपनी आत्मा ही कर्त्ता एवं विकर्ता है।
साध्वी श्री प्रियंवदाजी ने पैंतीस तपस्वियों के नाम सुनायें एवं सभी तपस्वियों के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए तप के क्षेत्र में आगे बढने की प्रेरणा दी। साध्वी श्री जी ने उपस्थित सब तपस्वियों को त्याग प्रत्याख्यान करवाये । ओम् अहम् की ध्वनि से जनसमूह ने उल्लास प्रकट किया।
साध्वी श्री प्रेरणाश्रीजी एवं साध्वी श्री मृदुयशाजी ने मंगल गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन संगीता हिंगड ने किया। पूर्व संध्या में साध्वी श्री मृदृयशाजी ने साध्वी श्री दीपांजी के कुछ संस्मरण सुनाये एवं साध्वी श्री ऋद्धियशाजी ने साध्वी प्रमुखा सरदारांजी के जीवन से अवगत कराया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी भुपेन्द्र वागरेचा ने दी समाचार साभार अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज भायंदर से पारस कच्छारा
भायंदर में ध्यान दिवस मनाया गया
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