मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री निर्वाणश्री जी ने कहा -“साधना की आंच पर कर्मों को स्वाहा करते हुए भगवान महावीर गतिमान है, दैवीय मनुष्य और पशुकृत,समस्त उपक्रमों को पार करते हुए वे चंडकौशिक जैसे दृष्टि विष नाग की बांबी पर पहुंच जाते हैं। उपशम का संदेश देकर महावीर भयंकर विषधर का भी उद्धार कर देते हैं।
पार्श्वनाथ चरित्र के रोचक व प्रेरणादायी प्रवचन में साध्वी श्री डॉ. योगक्षेम प्रभा जी ने कहा -“अर्हत पार्श्व अप्रतिम समता के साधक थे।जन्म जन्मांतरों वैर की आग में जलते कमठ को भी उन्होंने समता की राह दिखाई।”
ध्यान दिवस पर अपने उद्गार प्रकट करते हुए साध्वी कुंदनयशा जी ने ध्यान की महत्ता प्रतिपादित की। साध्वी मुदित प्रभा जी ने “करें स्वयं का आत्म निरीक्षण गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी”। मंच संचालन श्रीमती सायरा बैद ने तथा मंगलाचरण बांगुरनगर की बहनों ने किया।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में करीब 72 भाई-बहनों व बच्चों ने अठाई, नौ, ग्यारह,आदि का प्रत्याख्यान किया।
साध्वी वृंद ने समवेत स्वरों में गीत से तप का अनुमोदन किया। दूसरे चरण का संयोजन सभा के मंत्री अशोक जी हिरण ने किया। सोमवार रात्रि कालीन कार्यक्रम में श्रमणोपासिका बहनों ने गीत की प्रस्तुति दी। विदुषी साध्वी निर्वाणश्री जी एवं साध्वी योगक्षेम प्रभा जी ने ‘ताकत आत्मा की’ विषय की अत्यंत रोचक व सारगर्भित प्रस्तुति दी।
महावीर ने किया विषधर चंडकौशिक का उद्धार : साध्वी श्री निर्वाण श्री
Leave a comment
Leave a comment