मुंबई। महायोगी आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने “ध्यान” शब्द का विश्लेषण करते हुए कहा – ध्यान वह मार्ग है जो जीते जी स्वर्ग का आनन्द दिलाता है। और जीते जी प्रेम, आनन्द शांति का स्वाद चखाता है, करुणा और दया में अवगाहन कराता है। आपने आगे कहा आध्यात्मिक और दैवीय शक्तियों से जुड़ने के लिए ध्यान के अलावा और कोई मार्ग नहीं है। आपने जनचेतना को झकझोरते हुए कहा – आप लोग हर दिन उतनी देर ध्यान अवश्य कीजिए जितनी आपकी वर्तमान उम्र है। पीस, पावर और प्योरिटी ध्यान के प्रत्यक्ष परिणाम हैं। श्रमण भगवान महावीर के साधना काल का वर्णन करते हुए आपने प्राणी मात्र को मैत्री के धागे में बंधने का संदेश दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला मंडल के
के सुमधुर गान से हुआ। नव वधुओं ने कव्वाली की प्रस्तुति दी। साध्वी रक्षित यशा जी ध्यान पर विचार प्रस्तुत किए। साध्वी संचित यशा ने प्रयोग करवाया। साध्वी शकुन्तला कुमारी जी ने गीत का संगान किया साध्वी रक्षित यशा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म से कैलाश बाफना, बलवंत चोरडिया,तेजप्रकाश डांगी,दिलखुश मेहता,हिम्मत हिरण,राकेश मेहता,कमल मेहता,राहुल बोहरा,नेहा कोठारी, अभिषेक दयाल,चिराग डागलिया आदि विशेष उपस्थित थे
पर्युषण कालीन सभी कार्यक्रमों में आचार्य महाप्रज्ञ विद्यानिधि फाउंडेशन, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा,तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत क्षेत्रीय संयोजक दक्षिण मुंबई आदि का सहयोग प्राप्त हो रहा है । यह जानकारी उत्सव धाकड़ ने दी ।
समाचार प्रदाता : नितेश धाकड़
सुख का राजपथ : शासन श्री साध्वी सोमलताजी
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