ठाणे। ठाणे तेरापंथ भवन में पर्युषण पर्व आराधना में भक्ति भावना अपने चरम पर है। संवत्सरी पर्व जैसे जैसे नजदीक आ रहा है तपस्या का उत्साह वर्धमान है। कार्यक्रम का आगाज मंगलाचरण के साथ कांजूरमार्ग महिला मंडल द्वारा हुवा।स्वागतोत्सुक ठाणे सभा द्वारा स्वागत तेयुप कोपरी मंत्री श्री दिलीप गादिया ने किया।
भिक्षु-महाप्रज्ञ के अध्यक्ष श्रीमान निर्मलजी श्रीश्रीमाल ने अपने मनोगत में अतिशय हर्ष के साथ कहा की गुरुवर की कृपा से ठाणे भवन में प्रतिवर्ष चातुर्मास होते है और पूरे चातुर्मास में अध्यात्म साधना में जो इस भवन का उपयोग होता है उससे आत्मतोष की अनुभूति होती है। ज्ञानशाला,कन्या और किशोर मंडल में जो संस्कारो का बीजारोपण हो रहा है उससे शुभ भाविष्य की महक आ रही है।
शासनश्री साध्वीश्री जिनरेखाजी के मधुर स्वर में स्वर मिलते हुवे सामूहिक रूप में महावीर स्मरण हुआ।
साध्वीश्रीजी ने अपने प्रभावी वक्तव्य में फ़रमाया की संसार के मायाजाल-इंद्रजाल से मनुष्य आकर्षित होता रहता है परंतु जब इस मायाजाल का विच्छेद होता है तब कहीआत्मा के परम लक्ष्य साक्षात होता है। रत्नकुक्षि धारिणी माता त्रिशला के 14 स्वप्न और उनका अर्थ बताया। गर्भधारित माता त्रिशला जिन्हें इंद्र भी नमस्कार करते है।भगवान का जन्म कल्याणक उत्सव देवो द्वारा मेरु पर्वत पर अभिषेक इन सब का विवरण चलचित्र की भांति सभी के सम्मुख चल रहा था।
तुम हो चिन्मय, बनकर तन्मय मैं रूप तुम्हारा पा जाऊं सुंदर गीतिका का संगान साध्विवृन्द द्वारा किया गया। जप के बारे में बोलते हुवे साध्वीश्री मार्दवयशाजी ने बताया श्रद्धा और भावना से जप सिद्ध हो सकता है।साध्वीश्री श्वेतप्रभाजी ने बताया की साध्वीश्री जी की प्रेरणा से पर्युषण पर्व में अब तक 108 तेले और 36 बड़ी तपस्याएँ चल रही है,आगे भी गतिमान है।
आज तपस्या की अनुमोदना के क्रम में सभा द्वारा ललित जी कोठारी व आशीष नाहटा का सम्मान कर उनकी तपस्या की अनुमोदना की गई। तपस्या की अनुमोदना अपने वक्तव्य द्वारा राजुबाई नाहटा ने की। आभार और सूचना सभा कोषाध्यक्ष कमलेश चंडालिया ने किया।
ठाणेः पर्युषण महापर्व छठे दिवस जप दिवस का आय़ोजन
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