विले पारले – अणुव्रत जीवन शैली की आचार संहिता एक स्वस्थ समाज निर्माण की प्रयोगशाला है। मानव में मानवीय मूल्यों की स्थापना कर नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों का विकास करना तथा राष्ट्रीय एकता अखंडता को सुरक्षित रखने का मंत्र है अणुव्रत। अणुव्रत आंदोलन असंप्रदायिक और समस्त मानव जाति के लिए जन जागरण एवं लोक कल्याणकारी की भावना से ओतप्रोत है।
भगवान महावीर के 27 भवों की विवेचना करते हुए साध्वी श्री राकेश कुमारी जी ने कहा- नयसार के जीव ने सम्यक्त्व प्राप्त कर जीवन को धन्य बना लिया तथा भगवान महावीर के रूप में तीर्थंकर गौत्र का बंध कर जन्म जन्मांतर का सीमाकरण कर लिया। तीसरे मरीचि के भव में भगवान महावीर ने अहंकार के झूले में झूलते हुए गोत्र का मद करते हुए नीच गोत्र का बंध कर लिया। आगे भवों की श्रृंखला का विस्तार से व्याख्या करते हुए साध्वी श्री ने कहा-कर्म किसी का सगा नहीं। जो आत्मा जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है , यह शाश्वत सिद्धांत ही आत्मा कर्मों का अनुगमन करती हुई नरक, तिर्यचं,मनुष्य व देवगति को प्राप्त करती है। कर्मों का क्षय करके ही मोक्ष गति प्राप्त होती है।
इस पर्यूषण पर्व के पाँचवे दिन आचार्य महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति एवं मुंबई सभा अध्यक्ष मदनलाल तातेड एवं टीम से मनोहर गोखरू, सुरेंद्र कोठारी, महेश बपना, गौतम कोठारी एवं साँताक्रूज़ तेयुप अध्यक्ष मनीष बापना, महिला मंडल संयोजिका ममता कोठारी एवं पूरी टीम की विशेष उपस्थिति रही।
सुरेंद्रजी कोठारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए विले पारले युवक परिषद की पर्युषण पर्व के आयोजन की सराहना की एवं सभी को साधुवाद दिया ।
स्वस्थ समाज के निर्माण की प्रयोगशाला है अणुव्रत-साध्वी श्री राकेश कुमारी जी
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