- सामायिक है अनमोल रतन
- सामायिक दिवस के रूप में मनाया पर्युषण का तृत्तीय दिवस
सरदारपुरा (जोधपुर)। जैनाचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री सत्यवती जी आदि ठाणा – 3 के सान्निध्य में अमरनगर स्थित तेरापंथ भवन में व साध्वी श्री जिनबाला जी आदि ठाणा-4 चे सान्निध्य में तातेड गेस्ट हाऊस सरदारपुरा में पर्युषण पर्व का तीसरा दिवस सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज डागा के नेतृत्व में तेरापंथ युवक परिषद सरदारपुरा द्वारा अभिनव सामायिक का आयोजन किया। तेयुप सरदारपुरा द्वारा आयोजित समता की साधना के इस उपक्रम में अमरनगर स्थित तेरापंथ भवन में लगभग 225 सामायिक व मेघराज तातेड भवन में 320 सामायिक कुल 555 सामायिक की आराधना हुयी।
परिषद अध्यक्ष महावीर चौधरी ने बताया कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की 355 शाखाएं पूरे देश व नेपाल मे प्रतिवर्ष पर्युषण महापर्व के दौरान अभिनव सामायिक का आध्यात्मिक आयोजन करवाती है, और उसी के अंतर्गत आज यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। इस अवसर पर तेरापंथ भवन अमरनगर मे सामायिक विषय पर साध्वी श्री सत्यवती जी ने फरमाया कि जैन धर्म मे सामायिक का विशेष महत्व माना जाता है। सामायिक को समता की साधना और आत्मा को निर्मल करने का महत्वपूर्ण उपक्रम बताया गया है। सामायिक में व्यक्ति 48 मिनट के लिए सारे सांसारिक कार्यो का त्याग करके आध्यात्म साधना में लीन हो जाता है। साध्वी शशिप्रज्ञा जी ने सामायिक में दिशा, उपकरण आदि की जानकारी दी। संचालन सभा मंत्री महावीर चौपडा ने किया।
मेघराज तातेड भवन में सामायिक आराधकों को संबोधित करते हुये साध्वी श्री जिनबाला जी ने फरमाया आज सामायिक दिवस समता की साधना को उद्धत करने वाला है। सामायिक में सावद्य योग का प्रत्याख्यान किया जाता है सावद्य योग का अर्थ है पापकारी प्रवृत्ति। सामायिक के द्वारा कर्म आगमन के मार्ग को रोक दिया जाता है, और सामायिक में जो स्वाध्याय, जप किया जाता है उससे कर्मों की निर्जरा होती है।
साध्वी श्री करूणाप्रभा जी ने भगवान महावीर की भव परम्परा को आगे बढाते हुये विश्वभूति के भव का वर्णन किया।
साध्वी श्री महकप्रभा जी ने सामायिक गीत का संगान किया। संचालन मानवी सालेचा ने किया। तेयुप मंत्री निर्मल छल्लाणी ने बताया कि अभिनव सामायिक, सामायिक का विशेष रूप है जिसमें त्रिपदी वंदना, जप, ध्यान, गीतिका के संगान के साथ मन, वचन और काया की स्थिरता के लिये त्रिगुप्ति की साधना के प्रयोग कराये जाते है। दोनों ही आयोजन स्थल पर तेरापंथी सभा सरदारपुरा, महिला मंडल, युवक परिषद, अणुव्रत समिति और प्रोफेशनल फोरम सदस्यों ने गणवेश में उपस्थित हो, सामायिक की आराधना की।
- रिपोर्ट: तेयुप सरदारपुरा मीडिया प्रभारी राहुल छाजेड