ठाणे। शासनश्री साध्वीश्री जिनरेखाजी एवं साध्वीवृन्द के सानिध्य में ठाणे के तेरापंथ भवन में पर्वाधिराज पर्युषण की साधना अविरत गतिमान है।कार्यक्रम की शुरुवात वागले स्टेट महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुई। अतिथि स्वागत श्रीमान लक्ष्मीलालजी सिंघवी ने किया।
शासनश्री साध्वीश्री जिनरेखाजी के उध्बोदन का विषय-मजबूत सम्यक्त्व सम्यक्त्व के पांच भूषण स्थैर्य, प्रभावना, भक्ति, कौशल, और तीर्थसेवा।
सम्यक्त्व को मजबूत बनाने की प्रेरणा देते हुवे कहा कि हम बाहरी आभूषणों से खूब सजते है पर आत्मा का आभूषण सम्यक्त्व है उसे सजाने या दृढ़ बनाने के लिए,निर्मल रखने के लिए रोजाना चिंतन करे कि संवर और निर्जरा के द्वारा यह प्रक्रिया निरंतर गतिमान रहे और अपनी मोक्ष की सीट रिज़र्व करे। साथ ही कालचक्र के 5 और 6 आरे की जानकारी दी और भगवान महावीर के पूर्व भवो की जानकारी दी।
केंद्र द्वारा निर्धारित विषय स्वाध्याय साध्वीश्री धवल प्रभाजी ने प्रकाश डाला। तपस्या का क्रम निरंतर गतिमान है जिसमे आज 9 की तपस्या लेकर श्रीमान राकेश अच्छा ने क्रम को गतिमान रखा।आभार ज्ञापन श्रीमान विनोदजी बडाला ने किया।
ठाणे: पर्युषण महापर्व -द्वितीय दिवस स्वाध्याय दिवस मनाया गया
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