मुंबई। साध्वी प्रज्ञाश्री जी आदि ठाणा ४ के पावन सानिध्य में तेरापंथ भवन वसई में काकी सास – बहू की जोड़ी के कंठी तप का अभिनंदन किया गया। प्रवक्ता उपासिका आशा शंकरलाल जी गुंदेचा एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षिका रेखा गजेंद्र जी गुंदेचा के कंठी तप का अभिनंदन संपूर्ण समाज के द्वारा किया गया। साध्वी प्रज्ञाश्री जी में बताया कि तप की साधना अत्यंत कठिन है सम्यक की साधना एवं समभाव के द्वारा ही तप किया जा सकता है। उन्होंने बाहुबली की कहानी के माध्यम से बताया कि तपस्या और आवेश का कोई संबंध नहीं है।
साध्वी विनय प्रभाजी एवं साध्वी प्रतीकप्रभा जी ने आशा जी रेखा जी के लिए अलग-अलग गीतिका के माध्यम से कंठी तप अनुमोदना की एवं सास बहू के जोड़ी से तप पर प्रसन्नता जाहिर की। साध्वी सरल प्रभा जी ने बताया कि दोनों तपस्वी बहने किस तरह तपस्या के लिए प्रेरित हुई तथा यह भी बताया कि तपस्या जितनी गुप्त होती है उतनी ही ज्यादा फलती है और शरीर को तपाने से ही आत्मा उज्जवल बनती है।
तेरापंथी सभा अध्यक्ष प्रकाश जी संचेती, पूर्व अध्यक्ष मोहन जी गुंदेचा, तपस्वी बहन आशा जी गुंदेचा, विरल जी गुंदेचा, प्रिया जी गुंदेचा, चंद्रा जी बंब, किरण जी सोलंकी हगामी देवी गुंदेचा, वर्धमान जी सोलंकी , वसंता जी चोरड़िया, लक्ष्मी जी चोरडिया, मनोज जी मेहता इत्यादि ने तप अनुमोदना में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी | साथ ही गुंदेचा परिवार के सदस्यों ने गीतिका के माध्यम से दोनों तपस्वीयो के तप की अनुमोदना की। साध्वी प्रमुखा श्री जी के संदेश का वाचन निमिष जी गुंदेचा एवं गजेंद्र जी गुंदेचा ने किया। कार्यक्रम के दौरान मंच का कुशल संचालन यशोदा जी सामोता ने किया। कार्यक्रम का समापन साध्वी प्रज्ञाश्री जी के मंगल पाठ के द्वारा हुआ।
वसई में सास बहू के कंठी तप का अभिनंदन
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