भायंदर। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावतीजी ‘ द्वितीय’ ठाणा 5 के सानिध्य में तुलसी समवशरण तेरापंथ भवन मे भक्तामर अनुष्ठान एवं तप प्रत्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्वस्तिक के आकार में बैठे हुए 57 दंपतियों को, दर्शकों एवं श्रोताओं को संबोधित करते : साध्वी श्री प्रियंवदाजी ने कहा- आज दंपतियों के अलावा भी काफी संख्या में लोग उपस्थित है। सब तन्मयता एवं जागरूकता पूर्वक भक्तामर स्तोत्र का उच्चारण करेंगें। भक्तामर एक महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है। इसकी आराधना एवं साधना में विशेष ध्यान रखना अपेक्षित है।
साध्वी श्री विद्यावतीजी ने मंगल उद्बोधन में कहा-आचार्य मानतुंग द्वारा रचित यह भक्तामर स्तोत्र जग विश्रुत, प्रभावक एवं विलक्षण स्तोत्र है। जैन समाज में काफी श्रद्धालु नियमित रूप से प्रातः इस स्तोत्र का उच्चारण करते हैं। अनुष्ठान में सम्मिलित सभी सदस्यों ने अतिरिक्त आहह्लाद प्रकट किया। साध्वी श्री प्रियंवदाजी, साध्वी श्री प्रेरणाश्रीजी, साध्वी श्री मृदुयशा जी एवं साध्वी रीद्धियशाजी ने स्तोत्र एवं मंत्रों का उच्चारण किया। अंत में नमस्कार महामंत्र के जप के साथ आदिनाथ भगवान को भावांजली समर्पित की गई।
अनुष्ठान की संपन्नता के बाद तपस्या के प्रत्याख्यान का क्रम चला। आज श्रीमती हेमा धाकड ने एवं श्रीमती प्रतिभा गोलछा ने 15 की तपस्या का एवं कविश सिंघवी ने नौ की तपस्या के प्रत्याख्यान किये। श्रीमती हेमा धाकड़ एवं प्रतिभा गोलछा के पारिवारिक सदस्यों ने तपस्या के प्रति शुभकामनाएं संप्रेषित की। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष भगवतीलाल भंडारी ने सभी संस्थाओं की तरफ से तपस्वियों के प्रति मंगल भावना प्रकट की। तेरापंथी सभा द्वारा साहित्य अर्पित कर सम्मान किया गया। साध्वी वृंद ने तप अनुमोदना एवं तप की प्रेरणा देते हुए सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष भगवती भंडारी,मंत्री ,तेयुप अध्यक्ष राकेश वागरेचा,मंत्री धीरज वागरेचा,महिला मंडल संयोजिका ममता डांगी, सहसंयोजिका उर्मिला हिंगड़,रेखा लुनिया एवं सभी पदाधिकारी कार्यकर्ताओ की उपस्थिति रही कार्यक्रम का संचालन उपासक परेश भंडारी ने किया। यह समाचार मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र वागरेचा ने दी।
- समाचार प्रदाताः पारस कच्छारा, भायंदर