ठाणे। आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासन श्री जिनरेखाजी के सान्निध्य मे सतरंगी और पंचरगी तप अनुमोदन समारोह का ठाणे के माजीवाड़ा स्थित तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया।जिसकी मंगल शुरुआत कन्या मण्डल की बहिनों के मंगल संगान से हुआ।शासन श्री जिनरेखाजी ने अपने प्रेरक उदबोधन में कहा मोक्ष के चार मार्ग बताये गये।ज्ञान,दर्शन, चारित्र, तप। तप बहुत छोटा सा शब्द है।लेकिन तप करना तलवार की धार पर चलने के समान है।तपस्या से पूर्व से संचित कर्म दूर होते है।तप से आधि, व्याधि,उपाधि सब तरह के बीमारिया दूर होती है। पंचरगी और सतरंगी में लगभग 85 तपस्वियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया।
साध्वी ध्वलप्रभाजी ने सभी तपस्वियों को अपने प्रेरणामय वक्तव्य से तप की अनुमोदना की।सभा अध्यक्ष रमेश सोनी ,श्री भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष निर्मल श्रीश्रीमाल व ठाणे सिटी के युवक परिषद के अध्यक्ष अविनाश गोगड़ ने अपने वक्तव्य से और मधुर गायक पार्थ दुग्गड़ ने अपनी गीतिका से तपस्वी भाई बहिनों के प्रति मंगल भावना की। महिला मण्डल की बहिनों ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति दी।विमल गादिया ने सुंदर गीत की प्रस्तुति दी।ठाणे के सभी क्षेत्रों के समस्त श्रावकगण और ठाणे से सटे आसपास के उपनगर ऐरोली, भांडुप, मुलुंड, कांजुरमार्ग, कळवा, मुंब्रा से सभी भाई बहिनो ने उत्साह से भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी श्री श्वेत प्रभाजी ने किया।
ठाणे में तप अनुमोदन समारोह का आयोजन
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