- अनेक जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न संगठनों ने किया शांतिदूत का अभिनंदन
- शरीर में सक्षमता रहते करे धर्माराधना – आचार्य महाश्रमण
- मुख्यमुनि को जन्मदिन पर मिला गुरू द्वारा उपहार
04.06.2022, शनिवार, नोखा, बीकानेर (राजस्थान)। अपनी अहिंसा यात्रा द्वारा तीन देशों सहित भारत के 20 राज्यों में 18000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा करने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज धर्मनगरी नोखा में भव्य पदार्पण हुआ। लगभग आठ वर्षों पश्चात अपने आराध्य के नगर पदार्पण पर श्रद्धालुओं का उत्साह उमंग देखते ही बन रहा था। प्रातः गुरूदेव ने जब सालूंडिया से विहार किया तभी से नोखावासी श्रावक समाज बड़ी संख्या में शांतिदूत की आगवानी में पहुंच गया। जैसे–जैसे आचार्यश्री के कदम नोखा की ओर बढ़ते जा रहे है श्रद्धालुओं का उल्लास भी वातावरण में जयघोषों से गुंजायमान हो रहा था। विशाल जुलूस में जैन–अजैन हर वर्ग के श्रद्धालु मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण का स्वागत कर रहे थे। सन् 2014 में नववर्ष का वृहद मंगलपाठ गुरूदेव ने नोखा में किया था उसके बाद अभी फिर आचार्यश्री आज यहां आगमन हुआ है। प्रवेश का दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों नोखा आज महाश्रमणमय बन गया हो। हर ओर उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ आचार्यश्री के एक दर्शन पाने को लालायित नजर आराही थी।
लगभग 10 किमी विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ नोखा मंडी स्थित तेरापंथ भवन में दो दिवसीय प्रवास हेतु पधारे। जुलूस में विधायक श्री बिहारीलाल विशनोई, नोखा नगरपालिका अध्यक्ष श्री नारायण झंवर सहित अनेकों जनप्रतिनिधि युगप्रधान का स्वागत कर रहे थे। इस दौरान पूर्व विधायक एवं राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्ट्री डवलपमेंट बोर्ड अध्यक्ष रामेश्वरलाल डूडी भी स्वागत में उपस्थित हुए।
प्रवचन सभा में प्रेरणा देते हुए आचार्य श्री ने कहा – हमारा जीवन शरीर व आत्मा इन दो तत्वों का योग है। इनमे यदि एक का भी अभाव हो तो जीवन नहीं होता। आत्मा के साथ शरीर का संयुक्त योग होना जीवन होता है। इस शरीर को हम नौका मानले तो जीव इसका नाविक है। इस शरीर रूपी नौका से भवसागर को तरने का प्रयास करना चाहिए। ये मनुष्य भव ही है जिससे हम जन्म–मरण के चक्र से मुक्त हो सके है। इस नौका में पापों के छिद्र न लग जाए, संवर, निर्जरा के द्वारा इसे निश्छिद्र रखा जा सकता है। इस लिए यह शरीर जब तक सक्षम है, बुढ़ापा, व्याधि हावी नहीं हो रही है व्यक्ति को धर्म, आराधना में अपनी शक्ति का नियोजन करना चाहिए।
शांतिदूत ने आगे कहा की – हम आचार्यश्री तुलसी को देखे उन्होंने उम्र के एक पड़ाव पर भी कितनी सुदीर्घ यात्रा की, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने भी कितनी यात्राएं की। दोनों गुरूदेव का यहां नोखा भी अनेकों बार आगमन हुआ। इस बार पुनः मेरा यहां आना हुआ है। यहां साध्वी राजिमती जी आदि कई वयोवृद्ध साध्वियों से भी मिलना हो गया। राजीमती जी कई वर्षों से यहां है, हमारे धर्मसंघ की एक ख्यातनामा साध्वी है। नोखा की जनता में खूब धार्मिक चेतना बढ़ती रहे और सभी अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को बढ़ाते रहे, मंगलकामना।
जन्मदिन पर मिला गुरू द्वारा रक्षाकवच का उपहार
कार्यक्रम में ’शासन गौरव’ साध्वी श्री राजीमती ने आपने भावोद्गार व्यक्त कर साध्वियों द्वारा धागों से हस्तनिर्मित माला रक्षा कवच के प्रतीकात्मक रूप में गुरु चरणों में उपहृत की। जिसे गुरूदेव ने स्वयं धारण कराया एवं उसे फिर मुख्यमुनि को पहना दिया। ज्ञातव्य है की आज मुख्यमुनि श्री महावीर का 34 वां जन्मदिन भी है। गुरूदेव ने कहा की हमारी देव, गुरु, धर्म रक्षा करते रहे। हमारे पूरे संघ की रक्षा हो, माला मेने तो धारण कर ही ली अब संघ के प्रतीक के रूप में मैं इसे मुख्यमुनि को पहनाता हूं। सभा में उपस्थित श्रावक–श्राविकाएं गुरु–शिष्य के इस स्नेह दृश्य को देख धन्यता की अनुभूति कर रहे थे।
स्वागत की कड़ी में नोखा विधायक श्री बिहारीलाल विशनोई, पूर्व संसदीय सचिव श्री कन्हैयालाल झंवर, नोखा पूर्व विधायक श्री रामेश्वरलाल डूडी, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री निर्मल भूरा, अणुव्रत समिति से श्रीमती जयश्री भूरा आदि ने अपने विचार रखे। तेरापंथ युवक परिषद, किशोर मंडल, महिला मंडल, कन्या मंडल ने सामूहिक गीतिकाओं का संगान किया।