नई दिल्ली:प्रदूषण को कम करने के लिए देश के सभी थर्मल पावर प्लांट में कोयला के साथ बायोमास पैलेट्स (पराली) मिलाए जाएंगे। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के बाद केंद्र सरकार ने दूसरे प्रदेशों में भी थर्मल पावर स्टेशनों में पांच फीसदी पराली से बनने वाले पैलेट्स इस्तेमाल करने की तैयारी शुरू कर दी है।
इसके लिए नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) दिसंबर के दूसरे सप्ताह में पराली के पैलेट्स के लिए टेंडर जारी कर सकता है। विद्युत मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले साल देश के सभी थर्मल पावर प्लांट में कोयला के साथ पांच फीसदी बायोमास पैलेट्स मिलाना शुरू कर दिया जाएगा।
एनटीपीसी दादरी में प्रयोग सफल
एनटीपीसी दादरी में सात फीसदी तक कोयला के साथ बायोमास पैलेट्स मिलाना सफल रहा है। इससे पावर प्लांट की सुरक्षा और क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा।
सालाना 6 से 8 हजार मेगावाट उत्पादन बढ़ेगा
देश में होने वाली पराली से पैलेट्स तैयार कर हर साल आठ हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल चार करोड़ मीट्रिक टन पराली जलाई जाती है।
पराली की बिजली महंगी
थर्मल पावर प्लांट में कोयला के साथ बायोमास पैलेट्स मिलाने से बिजली उत्पादन दर में वृद्धि हो सकती है। कोयला के साथ पराली से बनाए जाने वाले बायोमास पैलेट्स मिलाकर बनने वाली बिजली की दर सात रुपये प्रति यूनिट तक हो सकती है। एनटीपीसी के एक अधिकारी ने बताया कि कोयला से बनने वाली बिजली की उत्पादन दर तीन से चार रुपये प्रति यूनिट आती है।
ये होंगे फायदे
पराली से बायोमास पैलेट्स तैयार कर थर्मल पावर प्लांट में कोयला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से जहां प्रदूषण में कमी आएगी। वहीं, किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी। किसान अतिरिक्त पराली को खेतों में जलाने के बजाए उसे बेच कर अतिरिक्त आय कर सकते हैं। वहीं बिजली घरों में पैलेट्स तैयार करने के लिए नए उद्योग लगेंगे। इससे रोजगार के मौके भी पैदा होंगे।
सभी थर्मल प्लांट में पराली से बिजली बनेगी, किसानों की बढ़ेगी आमदनी
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